सेवा प्रदाता कंपनियों के अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की होगी जांच

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नई दिल्ली। राज्यों के बीच वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से हासिल आय का गलत आवंटन रोकने के लिए ऑडिट महानिदेशालय को बैंकों और दूरसंचार कंपनियों जैसे बड़े सेवा प्रदाताओं के अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की जांच करने के लिए कहा गया है।

एक अधिकारी ने कहा कि जीएसटी राजस्व में कमी आने के कारणों का विश्लेषण करने के लिए केंद्र और राज्यों के टैक्स अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। इस दौरान कुछ राज्यों ने सेवाओं की अंतर्राज्यीय आपूर्ति के मामले में राजस्व आवंटन से जुड़े मुद्दे उठाए थे।

कुछ राज्यों ने आशंका जताई है कि सेवा प्रदाता कंपनियां शायद ग्राहकों से वसूले गए कर जीएसटी नियमों और प्लेस ऑफ सप्लाई (पीओएस) नियमों के तहत उस राज्य में जमा नहीं कर रहीं, जहां किए जाने चाहिए। पीओएस नियमों के तहत कर उस जगह जमा होने चाहिए, जहां खपत होती है।

लेकिन सेवाओं के मामले में खपत के स्थान की पहचान करना कठिन होता है, इसलिए जीएसटी नियमावली में विस्तार से नियम बनाए गए हैं कि किस परिस्थिति में किस राज्य में कर जमा होने चाहिए। एक अधिकारी ने कहा कि डीजी ऑडिट यह जांच करेगा कि विभिन्न राज्यों में काम करने वाले सेवा प्रदाताओं के अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर उचित राज्य में कर जमा कर रहे हैं या नहीं।

ऑडिट महानिदेशालय को तीन-चार महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। नियम यह है कि बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के मामले में सेवा प्राप्त करने वाले का स्थान पीओएस होगा। लेकिन यदि स्थान का पता नहीं चल रहा हो, तो सेवा आपूर्ति करने वाले के स्थान को ही पीओएस माना जाएगा।

पोस्ट पेड मोबाइल कनेक्शन के मामले में ग्राहक के बिलिंग का पता पीओएस होगा। मोबाइल, इंटरनेट या होम टेलीविजन के प्री-पेड वाउचर के मामले में आपूर्तिकर्ता के रिकॉर्ड में सेलिंग एजेंट या वितरक के दर्ज पता को पीओएस माना जाएगा।

ऑनलाइन रिचार्ज के मामले में दूरसंचार कंपनी के पास ग्राहक के दर्ज पता के आधार पर जीएसटी जमा किया जाएगा। इसी तरह से बीमा, यात्री परिवहन और माल परिवहन (मेल या कुरियर सहित) जैसी अन्य सेवाओं के लिए भी नियम बने हुए हैं।