सेवा के संस्कार ने बनाया सेवाभावी और अब सेवा के लिए नमन बनेगा डॉक्टर

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कोटा। नीट का रिजल्ट आने के बाद कई ऐसे स्टूडेंट सामने आ रहे हैं जिन्होंने कड़ी मेहनत कर इस मुकाम को केवल इसलिए हासिल किया है कि वह दूसरों की सेवा करना चाहते हैं। और यह सेवा का भाव उन्हें अपने घर परिवार से ही मिला है। इसी सेवाभाव से वे सेवा के लिए बने चिकित्सीय पेशे से जुड़ना चाहते है।

ऐसे में बचपन से अपने पिता समाजसेवी भुवनेश गुप्ता को सेवा करते हुए देखने वाले कोटा के महावीर नगर सेकंड निवासी नमन गुप्ता ने पहले ही प्रयास में 12वीं क्लास के साथ नीट की परीक्षा पास कर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश हेतु स्थान सुरक्षित किया है। नमन गुप्ता का जगह-जगह भव्य स्वागत हो रहा है और इस उपलब्धि के लिए सेवा, संस्कार, श्रम और साधना के भाव को इसका श्रेय देता है।

नमन के पिता भुवनेश गुप्ता बताते है कि एक एवरेज स्टूडेंट ने नीट पास की है तो इसके पीछे लोगों की सेवा और परिवार की सेवा के साथ संस्कार सर्वोपरि है। गुप्ता ने बताया कि 11वीं में विशेष से विपरीत जाते हुए नमन ने डॉक्टर बनने की इच्छा जाहिर की और नीट एग्जाम के लिए कहा, लेकिन हमें ऐसा लगा कि एक एवरेज स्टूडेंट किस तरह से नीट क्लियर कर पाएगा लेकिन उसकी ज़िद्द के आगे हमने उसे नीट के लिए तैयारी के लिए ग्यारहवीं में बायोलॉजी सब्जेक्ट दिलाया।

मां क्षिप्रा गुप्ता बताती है कि डॉक्टर बनने के पीछे की कहानी की बात करें तो नमन ने शुरू से ही घर में परेशानियां देखी और एक एक्सीडेंट में उसके दादाजी प्रेमचंद गुप्ता (बड़ौदा) का आकस्मिक देहांत हो गया। जिस तरह से उसने अपने सामने दादाजी को दुनियां से जाते हुए देखा और चिकित्सक कुछ नहीं कर पाए, उसके मन में तभी से सेवा की भावना प्रबल हो गई और उसने न्यूरो सर्जन बनने की चाहत पैदा की। इसी तरह दादी शकुंतला गुप्ता कोरोना पॉजिटिव हुई और बमुश्किल हालातों से संघर्ष बच पाई।

वह अपने दादाजी और दादीजी की तरह कई और लोगों की जिंदगी को बचा सके, एक ऐसा भाव उसे लक्ष्य की ओर लेकर गया। उसके बाद जब कोरोना का समय आया और उसने कई लोगों को तड़पते हुए देखा कहीं अपनों को एक के बाद एक जाते हुए देखा।

डॉक्टर बनने की ठानी
उस समय चिकित्सकों के कार्यों का महत्व और उनके द्वारा किए गए जीवनदायिनी सेवाकार्य के कारण ही नमन ने डॉक्टर बनने की ठानी। उसके बाद क्या था धीरे-धीरे एक एवरेज स्टूडेंट अपने परिवार के संस्कारों से आगे बढ़ाता चला गया और नीट की परीक्षा आते-आते लगा कि यह नीट क्लियर कर लेगा और हुआ भी ऐसा ही, उसने नीट की परीक्षा से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश का रास्ता सुलभ कर लिया।

सोशल मीडिया से दूर रहा
नमन की दादी शकुंतला गुप्ता का भी इस सफलता में महत्वपूर्ण योगदान है। वह हमेशा कहती थी कि भगवान की पूजा करो। फिर पिता का कहना है मानव की सेवा करो और मां नियमित परिश्रम व एकनिष्ठता पर बल देती है, तब सफलता निश्चित तौर पर मिलेगी। एक सामान्य परिवार में जन्मे नमन गुप्ता के डॉक्टर बनने की सफलता में उन्होंने कई त्याग किए।शादी समारोह छोडे, सोशल मीडिया से दूर रहा। मोबाइल नहीं लिया, टीवी कभी नहीं देखी, ना दोस्त बनाए, ना ही दोस्तों के साथ घूमा, परिवारिक कार्यक्रमों से दूरी बनाते हुए कोचिंग के समय के अतिरिक्त 7 से 8 घंटे नियमित पढ़ाई को दिए और ये सफलता हांसिल की है।

पिता से मिला सेवा का संस्कार
इस सफलता का श्रेय नमन अपनी दादी शकुंतला गुप्ता, मां क्षिप्रा गुप्ता, पिता भुवनेश गुप्ता, चाचा अंकित पोरवाल, विपुल गुप्ता, वी पी सिंह, मामा मुकेश चौधरी को देता है। कोरोना काल में चिकित्सकों द्वारा की गई सेवा से हुआ प्रभावित जब नमन 10वीं क्लास में था तभी से वह अपने पिता को कोरोना काल में लोगों की सेवा करते हुए देखा करता था। उनका साथ हमेशा नमन की मां क्षिप्रा गुप्ता देती थी। पिता जान की परवाह किए बिना ही लोगों को प्लाज्मा दिला रहे थे, एसडीपी दिला रहे थे वहीं दूसरी और एसडीपी भी जान की बाजी लगाकर लोगों की सेवा कर रहे थे। वही सेवा के संस्कार उसके मन में दृढ़ निश्चय का कारण बने और वह डॉक्टर बनने की तरफ मुड़ गया। खुद नमन ने भी रक्तदान करके सेवा से जुड़ गया।

नमन परिवार में बनेगा पहला डॉक्टर
उन्होंने कहा कि हमारे परिवार में कहीं दूर-दूर तक कोई डॉक्टर नहीं है ना ही ननिहाल पक्ष में है। नमन परिवार का पहला ऐसा व्यक्ति होगा जो केवल सेवा के मनोभावों से ही डॉक्टर बना है। उसके दसवीं में 82 प्रतिशत और 12वीं में 90 प्रतिशत अंक आए। नमन ने नीट में 720 में से 650 अंक प्राप्त करते हुए 7213 वीं रैंक हासिल की है वही जनरल में 3664 रैंक हासिल की है।