सुसाइड विश्वव्यापी समस्या, प्रति 40 सेकण्ड में एक व्यक्ति मौत को गले लगा रहा

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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर विशेष

कोटा। World Suicide Prevention Day: आत्महत्या एक अंतराष्ट्रीय समस्या है। इसी कारण से विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं इंटेरनेशनल सोसाइटी फॉर सुसाइड प्रिवेंशन द्वारा 2013 से ही वर्ष 10 सितम्बर को आत्महत्या रोकथाम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस वर्ष “क्रिएटिंग होप थ्रू एक्शन” का नारा दिया गया है।

वरिष्ठ मनोचिकित्सक तथा होप सोसायटी के चेयरमैन डॉ. एमएल अग्रवाल ने बताया कि आत्महत्या की समस्या किसी एक प्रान्त या देश की नहीं है। अपितु यह अंतराष्ट्रीय समस्या है। प्रत्येक 40 सेकण्ड में एक व्यक्ति की मृत्यु आत्महत्या के कारण होती है। जबकि आत्महत्या का प्रयास करने वालों की संख्या 20 से 25 गुना ज्यादा होती है।

विश्व के 7 लाख 3 हजार लोगों की मृत्यु प्रतिवर्ष आत्महत्या के कारण होती है। वर्ष 2021 की नेशनल क्राइम ब्यूरो रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1 लाख 64 हजार 33 लोगों की मृत्यु आत्महत्या के कारण हुई है। जबकि 2017 में यह संख्या 1 लाख 29 हजार 887 थी। विश्व मानसिक स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आत्महत्या के मुख्य कारण मानसिक बीमारियाँ हैं। जिसका समय पर उपचार नही होने पर इसकी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। नेशनल क्राइम ब्यूरो रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1 लाख लोगों पर 12 मृत्यु आत्महत्या के कारण होती है। राजस्थान में 1 लाख लोगों पर 5.93 मृत्यु आत्महत्या की वजह होती है।

डॉ. एमएल अग्रवाल बताते हैं कि लड़कों में आत्महत्या से मृत्यु की संख्या लड़कियों की तुलना में 2 गुना ज्यादा है। लेकिन आत्महत्या का प्रयास 10 से 20 गुना लड़कियों में अधिक है। 15 से 20 वर्ष की उम्र में यह दर 1 लाख पर 30 से 40 है। आत्महत्या की दर रूस में सबसे ज्यादा प्रति 1 लाख पर 25 से 35 है एवं चीन में सबसे कम है।

दक्षिणी प्रान्तों में उत्तरी प्रांतों से ज्यादा, गाँवों से शहर में ज्यादा, पढ़े लिखों में अनपढ़ से ज्यादा, भारत में लड़कियों व लड़कों की दर बराबर सी है। अधिकतर देशों में शादीशुदा महिलाओं में कम होती है, परन्तु हमारे देश में ज्यादा है। महिलाओं में माहवारी के दौरान, प्रसव रजोनिवृति के बाद अधिक होती है।

विश्व स्वास्थय संगठन का मानना है कि करीब 90 फीसदी आत्महत्या करने वाले व्यक्ति मानसिक रोग से पीड़ित होते हैं। अधिकतर अवसाद, एंग्जायटी, स्क्रिजोफ्रेनिआ, पीटीएसडी के मरीज होते हैं। नशे की आदत इसको बढ़ावा देती है।

डॉ. एमएल अग्रवाल ने बताया कि आत्महत्या से प्रेरित लोगों के साथ संवेदना व्यक्त करनी चाहिए। अवसाद का मरीज है तो उससे पूछने में संकोच नहीं करें कि वह आत्महत्या के विषय में सोच रहा है। उन्हें यह बताएं कि वह अकेले नहीं है और उनकी सहायता करना चाहते हैं। उन्हें विशेषज्ञ से राय लेने के लिए प्रेरित करें।

कोटा एक कोचिंग सिटी का रूप ले चुका है। लाखों विद्यार्थी घर से दूर इंजीनियरिंग व मेडिकल विषयों की कोचिंग लेते हैं। जिसमें कईं बार आत्महत्या के मामले भी देखे गए हैं। विद्यार्थी के अंदर आत्महत्या रोकथाम के लिए कुछ विशेष उपायों की आवश्यकता है।

10 हजार से ज्यादा लोगों को बचाया
कोटा में जिला प्रशासन के सहयोग से हॉप सोसायटी द्वारा 24 x 7 x 365 हेल्प लाईन का संचालन किया जा रहा है। जिसमें अभी तक 10 हजार से ज्यादा छात्र, परिजन व नागरिक को स्ट्रेस व आत्महत्या से बचाया है। जिसका नंबर है 0744 – 2333666 l सोसायटी ने अनेक बार पुलिस के सहयोग से सुसाइड पॉइंट से भी बचाया है।