समलैंगिक जोड़े को शादी का हक नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एक्ट में बदलाव से किया इनकार

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होमो सेक्सुअल को भी गोद लेने का अधिकार

नई दिल्ली। Decision on marriage of gay couple: देश की सबसे बड़ी अदालत ने समलैंगिकों की शादी (gay couple wedding) पर अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादी को मान्यता नहीं दी है। SC ने 3-2 से फैसला देते हुए कहा कि यह विधायिका का अधिकार क्षेत्र है। हालांकि कोर्ट ने गोद लेने का अधिकार दे दिया। बाकी सिविल अधिकार के लिए जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर डाली गई है।

कोर्ट ने कहा कि जीवन साथी चुनना किसी के जीवन का महत्वपूर्ण निर्णय माना जा सकता है। यह अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के मूल में है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव से मना किया। इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने की इजाजत देने का विरोध किया था।

आयोग ने कोर्ट में कहा था कि इस तरह का प्रयोग नहीं होना चाहिए। शोध के आधार पर तर्क दिया गया था कि समलैंगिक जिस बच्चे का पालन करेंगे उसका मानसिक और भावनात्मक विकास कम हो सकता है।

गोद लेने पर फैसला

  • चीफ जस्टिस ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि होमो सेक्सुअल को भी गोद लेने का अधिकार है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्टीरियोटाइप बात है कि हेट्रो बेहतर पैरेंट्स होंगे और होमो नहीं।
  • यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि कौन बेहतर पैरेंट्स हैं कौन नहीं। हेट्रो ही अच्छे और होमो गलत, यह धारणा गलत है।

शादी का स्वरूप बदल गया
इससे पहले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि समलैंगिकता केवल शहरी कॉन्सेप्ट नहीं है। शादी का स्वरूप बदल गया है। यह डिबेट दिखाती है कि विवाह का रूप स्थिर नहीं है। सती प्रथा से लेकर बाल विवाह और अंतरजातीय विवाह तक विवाह का रूप बदला है। विरोध के बावजूद शादियों के स्वरूप में बदलाव आया है।

संसद को तय करना है
सीजेआई ने कहा, ‘यह कहना गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है। अगर विशेष विवाह अधिनियम को खत्म कर दिया गया तो यह देश को आजादी से पहले के युग में ले जाएगा। विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, यह संसद को तय करना है। इस न्यायालय को विधायी क्षेत्र में प्रवेश न करने के प्रति सावधान रहना चाहिए।’

अदालत कानून नहीं बना सकती
यह अदालत कानून नहीं बना सकती, केवल इसकी व्याख्या कर सकती है और इसे प्रभावी बना सकती है। बच्चे को गोद लेने के लिए बने सभी कानून शादीशुदा और गैर-शादीशुदा के लिए कोई भेदभाव नहीं करता है।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़

जनता को जागरूक करने का निर्देश
सीजेआई ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक समुदाय के लिए वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच में कोई भेदभाव न हो और सरकार को समलैंगिक अधिकारों के बारे में जनता को जागरूक करने का निर्देश दिया। सरकार समलैंगिक समुदाय के लिए हॉटलाइन बनाएगी, हिंसा का सामना करने वाले समलैंगिक जोड़ों के लिए सुरक्षित घर ‘गरिमा गृह’ बनाएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि अंतर-लिंग वाले बच्चों को ऑपरेशन के लिए मजबूर न किया जाए। CJI ने पुलिस को समलैंगिक जोड़े के संबंधों को लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया ।