श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु जी के 538वें शुभ प्राकट्य महोत्सव का आगाज

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कोटा। युगधर्म श्रीहरिनाम संकीर्तन के आदि प्रचारक प्रेमावतार श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु जी का भुवन मंगल शुभ प्राकट्य महा- महोत्सव का वार्षिक आयोजन बुधवार को श्री कृष्ण चैतन्य प्रेम भक्ति धाम,धरणी धरण चौराहा पर आयोजित किया गया।

नारायण दास व ललित कृष्ण दास ने बताया कि यह श्री चैतन्य प्रेम भक्ति संघ का वार्षिक फागोत्सव समारोह 20 मार्च से 26 मार्च तक मनाया जा रहा है। समारोह में वृन्दावन के आचार्य श्री हरे कृष्ण दास ब्रह्मचारी महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ।

फागोत्सव, शोभायात्रा व श्री प्रेमाभक्ति का पाठ
प्रचार मंत्री रविकुमार झंवर ने बताया कि गौर पूर्णिमा पर प्राक्टय महामहोत्सव मनाया जाएगा। 24 मार्च को महाप्रभु जी कि विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया जाएगा।25 मार्च को धरणीधरण स्थित मंदिर परिसर में महाप्रभु का जन्मोत्सव, गौर पूर्णिमा, फूलडोल, संर्कीतन, संध्या, पुरूषसूक्तपाठ व महाआरती होगी। 26 मार्च को श्री जगन्नाथ मिश्र आनन्दोत्सव, बधाई गायन, श्री गीता जी एवं प्रेमाभक्ति चन्द्रिका का पाठ होगा।

नारायण दास ने बताया कि बुधवार को भक्तिभाव से ठाकुर जी की मंगल आरती के उपरान्त हरिकीर्तन, प्रभात फेरी कोटा नगर के इंदिरा विहार कॉलोनी में सुबह 7.30 निकाली गई। हरे कृष्ण दास ब्रह्मचारी महाराज के सानिध्य में यह कार्यक्रम भक्तिभाव और हरिनाम के साथ सम्पन्न हुआ।

स्थानीय भक्त श्री हरे कृष्ण महामंत्र की तुमुल ध्वनि से वातावरण को मंगलमय बनाते हुए कीर्तन के साथ नृत्य-गान करते हुए चलते रहे। स्वामी ललित कृष्ण दास ने बताया कि महामहोत्सव में जुडने के लिए श्रृद्धालु कोटा आने हैं। एकादशी पर निकाली प्रभातफेरी में सागर, दमोह, खुरई, भोपाल आदि स्थानों से भक्तजन प्रभातफेरी में जुड़े। श्रीहरिनाम संकीर्तन फेरी शिवमंदिर इन्द्राविहार से प्रारम्भ होकर कॉलोनी के विभिन्न मार्गों से होते हुए श्री शिव मंदिर में ही सम्पन्न हुई।

मंगलघट व ध्वजारोहण, एकादशी का महत्व
प्रचार मंत्री रवि झंवर ने बताया कि चैतन्य महाप्रभु के शुभप्राक्ट्य महामहोत्सव एकादशी, बुधवार से प्रारंभ किया गया। धरणीधरण चौराहा स्थित श्री कृष्ण चैतन्य प्रेम भक्ति धाम पर आचार्य श्री हरे कृष्ण दास ब्रह्मचारी महाराज द्वारा घटस्थापना की गई और ध्वजारोहण किया गया। इसके उपरान्त प्रात:काल से सांयकाल तक हरिनाम संकीर्तन मे लोग हरिनाम जपते रहे। आचार्य ब्रह्मचारी महाराज ने भक्तों को एकादशी के महत्व की कथा सुनाई और एकादशी के व्रत की महिमा बताई। उन्होने इस व्रत में किन खाद्य पदार्थ सेवन करना और नहीं करने की जानकारी दी।