व्यापारियों की हड़ताल से राजस्थान की मंडियों में कारोबार ठप

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जयपुर/ कोटा। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के आह्वान पर व्यापारियों की हड़ताल से राजस्थान की मंडियों में शनिवार को कारोबार ठप रहा। सात सूत्रीय मांगों को लेकर कोटा मंडी में  व्यापारियों ने धरना दिया। धरने का नेतृत्व कोटा ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश राठी ने किया। 

धरने को राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ जयपुर के महामंत्री राजेंद्र खंडेलवाल व एसोसिएशन संयुक्त सचिव महेश खंडेलवाल ने भी संबोधित किया। उसके बाद सांसद व मंडी कमेटी को ज्ञापन दिया। राठी ने बताया कि अब तीन सितंबर को धरना दिया जाएगा। उस दिन जिला कलेक्टर, क्षेत्रीय विधायक व मंत्रियों को ज्ञापन दिया जाएगा। 

राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि राज्य की सभी 247 मंडियों में काम बिलकुल ठप है और कोई कारोबारी गतिविधि नहीं हो रही। नरमा (कपास का एक प्रकार) की सरकारी खरीद पर आढ़त के मुद्दे को लेकर राजस्थान की मंडियों में पांच दिन की हड़ताल आज से शुरू हो गई।

उन्होंने कहा कि इस दौर में यह हड़ताल पांच सितंबर तक रहेगी। इसके बाद आगे का कार्यक्रम बनेगा।आढ़तिए केंद्र सरकार द्वारा नरमे (कपास का एक प्रकार) की सरकारी खरीद में व्यापारियों को आढ़त नहीं देने के फैसले से नाराज चल रहे हैं।

गुप्ता ने कहा कि राज्य में 247 मंडियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में तेल मिलें, दाल मिलें व आटा मिलें हैं। सरकार के इस फैसले से राज्य के 25,000 आढ़त व्यापारी ही बेरोजगार नहीं होंगे, बल्कि इससे उन पर निर्भर साढ़े सात लाख अन्य लोगों की रोजी-रोटी पर भी संकट आएगा।

संघ की मांग है कि उनकी आढ़त न केवल बहाल की जाए बल्कि उसे दो प्रतिशत से बढ़ाकर ढाई प्रतिशत किया जाए। सूत्रों के अनुसार ‘ऑफ सीजन’ के कारण मंडियों में पहले ही जिंसों की नगण्य आवक थी। रही सही कसर इस हड़ताल ने पूरी कर दी है। हड़ताल के चलते राज्य की सभी मंडियों में एक तरह का सन्नाटा पसरा रहा।

यह है व्यापारियों की मांगें

  • मंडी यार्ड में समर्थन मूल्य पर जिंस की खरीद आढ़तियों के माध्यम से की जाए और उस पर आढ़त दी जाए।
  • समर्थन मूल्य पर खरीद आढ़तियों के माध्यम से नहीं करने पर किसानों को भावांतर योजना के अंतर्गत राशि दी जाए।
  • ई-नाम योजना किसी भी रूप में लागू नहीं की जाए।
  • कृषि जिंसों पर वायदा बाजार समाप्त किया जाए।
  • नाम परिवर्तन पर प्रशासनिक शुल्क के रूप में निर्धारित दर से राशि जमा कराने की व्यवस्था निरस्त की जाए।
  • समस्त कृषि जिंसों पर मंडी सेस 0.50 प्रतिशत किया जाए।
  • मंडियों में यूडी टैक्स नहीं वसूला जाए।