विप्रो के बायबैक में अजीम प्रेमजी ने बेचे 7,300 करोड़ के शेयर

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बेंगलुरु।अजीम प्रेमजी और विप्रो लिमिटेड के प्रमोटर ग्रुप ने देश की चौथी बड़ी आईटी सर्विसेज कंपनी के बायबैक प्रोग्राम में 7,300 करोड़ से अधिक के शेयर बेचे ताकि वह वादे के मुताबिक अपनी ज्यादातर कमाई परोपकार के कामों पर खर्च कर सकें। देश में परोपकार के लिए संपत्ति दान करने के मामले में प्रेमजी से आगे कोई नहीं है। इतना ही नहीं, वह इस मामले में एशिया में सबसे आगे और दुनिया में पांचवें नंबर पर हैं।

विप्रो ने बताया कि कंपनी के संस्थापक चेयरमैन और उनके नियंत्रण वाली कंपनियों ने हालिया शेयर बायबैक प्रोग्राम में 22.46 करोड़ शेयर बेचे। यह कंपनी में 3.96 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। मार्च में प्रेमजी ने विप्रो में 67 प्रतिशत शेयरों से होने वाली सारी आमदनी अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को देने की घोषणा की थी। उस वक्त इसकी वैल्यू 1,45,000 करोड़ यानी 21 अरब डॉलर लगाई गई थी।

प्रेमजी फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट है, जो सरकार के साथ मिलकर कई राज्यों में प्राथमिक शिक्षा की क्वॉलिटी बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है। प्रेमजी फाउंडेशन के चीफ एंडॉमेंट ऑफिसर के आर लक्ष्मीनारायण ने बताया, ‘प्रेमजी ने ट्रस्ट को जो भी पैसा देने का वादा किया है, वह परोपकार के लिए है। यह पैसा एक फंड में जाता है।’

प्रेमजी परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों के पास विप्रो के 73.83 प्रतिशत शेयर हैं। शेयर बायबैक के बाद प्रमोटर ग्रुप की होल्डिंग कंपनी में बढ़कर 74.05 प्रतिशत हो जाएगी। असल में बायबैक में कंपनियां जो शेयर खरीदती हैं, उन्हें रद्द कर दिया जाता है। इससे निवेशकों की कंपनी में हिस्सेदारी बढ़ती है।

वेंचर फिलैंथ्रफी फंड दासरा के सह-संस्थापक देवल सांघवी ने बताया, ‘एशिया में परोपकार के लिए दान करने वालों में प्रेमजी और उनके ट्रस्ट सबसे आगे हैं। वह पोषण, घरेलू हिंसा रोकने, मीडिया की आजादी और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में मदद कर रहे हैं।’ बेन ऐंड कंपनी की इस साल की इंडियन फिलैंथ्रफी रिपोर्ट में बताया गया था कि अगर प्रेमजी के दान को हटा दें तो 2014 के बाद से भारत में 10 करोड़ और उससे अधिक के दान में 4 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि इस बीच 5 करोड़ डॉलर से अधिक संपत्ति वाले सुपररिच की कमाई में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

इस साल अप्रैल में विप्रो के बोर्ड ने 325 रुपये प्रति शेयर के भाव पर 32.30 करोड़ शेयर बायबैक करने का ऐलान किया था, जिस पर कुल 10,500 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे। यह बायबैक अगस्त में खत्म हुआ। सरकार के 20 प्रतिशत का टैक्स लगाने के बाद विप्रो बायबैक करने वाली पहली लिस्टेड कंपनी है।