रामायण में सुषेण वैद्य बने रमेश चोऋषिया को जब लोग असली वैद्य समझ बैठे

0
1618

दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
देशभर में लॉकडाउन के समय दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर रामानन्द सागर निर्देशित रामायण सीरियल का पुनः प्रसारण हो रहा है। रामायण में मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण के मूर्छित होने के बाद लंका के वैद्य सुषेण ने उनको संजीविनी बूटी से ठीक कर दिया था। सुषेण वैद्य ((Sushen Vaidya) की भूमिका निभाने वाले और कोई नहीं बल्कि उज्जैन निवासी स्वर्गीय रमेश चोऋषिया (Ramesh Chaurasia) ही थे। वे देवास गेट पर पान की दुकान चलाते थे। वे अब हमारे बीच नहीं रहे, इस मौके पर उन्हें lendennews-ee4f51.ingress-erytho.ewp.live की ओर से श्रद्धांजलि।

प्रसंगानुसार रामायण में उल्लेख मिलता है कि जब राम-रावण युद्ध में मेघनाथ आदि के भयंकर अस्त्र प्रयोग से लक्ष्मण मूर्छित हो मरणासन्न अवस्था में पहुंच गए थे, तब हनुमानजी ने जामवंत के कहने पर वैद्यराज सुषेण को बुलाया और फिर सुषेण ने कहा कि आप द्रोणगिरि पर्वत पर जाकर 4 वनस्पतियां लाएं।

मृत संजीवनी (मरे हुए को जिलाने वाली), विशाल्यकरणी (तीर निकालने वाली), संधानकरणी (त्वचा को स्वस्थ करने वाली) तथा सवर्ण्यकरणी (त्वचा का रंग बहाल करने वाली)। हनुमान बेशुमार वनस्पतियों में से इन्हें पहचान नहीं पाए, तो पूरा पर्वत ही उठा लाए। तब वैद्यराज सुषेण ने उनमें से संजीवनी बूटी को पहचान कर उसे पीस कर लेपन तैयार किया तब लक्ष्मण मृत्यु के मुख से बाहर निकल पाए।

यह रामानन्द सागर की रामायण का एक मात्र ऐसा प्रसंग है जिसमें लक्ष्मण की मूर्छा को देखकर राम भी अपने आंसू रोक नहीं पाए। राम की सेना के सभी शूरवीर लक्ष्मण की मूर्छा देखकर विलाप में दुखी और अश्रु विगलित थे तब उम्मीद की एक मात्र किरण बनकर सामने आए सुषेण वैद्य की ओर सब टकटकी लगाए देख रहे थे। तभी उन्होंने वह कमाल कर दिखाया जिसे देखकर सभी की आश्चर्य मिश्रित खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

कैसे मिला सुषेण वैद्य का रोल
रामानंद सागर को सुषेण वैद्य के किरदार के लिए एक चेहरे की तलाश थी। अरविंद त्र‍िवेदी ने रमेश चौरसिया का नाम सुझाया। रामानंद सागर के बुलावे पर वह उज्‍जैन से मुंबई पहुंचे। एक-दो स्‍क्रीन टेस्‍ट हुए और फिर रमेश चौरसिया को यह रोल मिल गया। एक साधारण पान वाले से सुषेण वैद्य तक सफर तय करने वाले रमेश चोऋषिया दाढी और लम्बे बाल पहले से ही रखते थे।

पूजापाठी और कदकाठी से एक वैद्यराज की कसौटी पर खरा उतरता देखकर ही सागर जी ने उन्हें इस भूमिका के लिए चुना था। रामायण सीरियल की शूटिंग से लौटने के बाद रातोंरात उनकी और उनकी दुकान की ख्याति इतनी बढ गई थी कि बाहर से कई लोग उनसे मिलने आने लगे थे। कुछ ग्रामीण जन तो उन्हें पहुंचा हुआ वैद्य मानकर उनसे अपनी बीमारी का इलाज करवाने तक चले आते थे। तब उन्हें उनसे पिण्ड छुडाना बडा मुश्किल होता था।

रमेश चोऋषिया ने अपनी भूमिका के फोटो फ्रेम कर अपनी दुकान पर लगवा दिए थे जिसे लोग आते – जाते देखते थे। इतना सब होने पर भी सदा हंसमुख मिलनसार बने रहने वाले रमेश चोऋषिया की जिन्दगी में इससे कोई खास बदलाव नहीं आया। वे जैसे सीधे सरल थे अंत तक वैसे ही बने रहे। कोरोना जनित अवकाश ने रामायण के पुनः प्रसारण के कारण उनसे जुडी स्मृतियों को एक बार फिर ताजा कर दिया। उज्जयिनी के नाम को रामायण धारावाहिक के साथ जोडने वाले स्व रमेश चोऋषिया (सुषेण वैद्य )की स्मृति को प्रणाम।

दिलचस्‍प बात यह है कि रमेश चौरसिया की जिंदगी इस सीरियल के बाद पूरी तरह बदल गई। हालांकि, इसके बाद वह ऐक्‍ट‍िंग की दुनिया में दोबारा नहीं लौटे, लेकिन उज्‍जैन शहर के बस स्‍टैंड के निकट उन्‍होंने अपना एक होटल शुरू किया। उनकी एक नमकीन की भी दुकान है। खास बात यह है कि उनके इस होटल का नाम ‘संजीवनी’ है।