राज्यपाल बनाकर गुलाबचंद कटारिया की महत्वाकांक्षाओं पर लगाई लगाम

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शेखावत को नई जिम्मेदारी सौंपी जाने की कोशिश कर उठाया दूसरा कदम

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक टेलीफोन कॉल ने और किसी की तो नहीं लेकिन कम से कम राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर विराम लगा दिया है। इसे केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद यदि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के समीकरण बनते हैं तो उन्हें नई जिम्मेदारी सौंपी जाने की कोशिश के दृष्टि से उठाये गये दूसरे कदम के रूप में देखा जा सकता है।

राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण भूमिका रखने वाले गुलाब चंद कटारिया को केंद्र सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने असम का राज्यपाल नियुक्त करने की रविवार को घोषणा की।

यह दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्री कटारिया को किए गए एक फोन का नतीजा भर है, जिसमें संभवत उनसे उनकी अपेक्षा पूछे जाने के बजाये उन्हें स्पष्ट संकेत दे दिया गया होगा कि अब वे प्रदेश की सक्रिय राजनीति का हिस्सा रहने वाले नहीं हैं। उन्हें राज्यपाल के रूप में नई जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।

भाजपा के आलाकमान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान में उनके प्रवास के दौरान जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था प्रदान कर आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति में उनकी नई भूमिका को प्रतिपादित करने की पहली कोशिश की गई थी।

अब दूसरी कोशिश के तहत श्री कटारिया को असम का राज्यपाल बना कर भेजा है, ताकि उनकी कम से कम अब राजस्थान की सक्रिय राजनीति में कोई भागीदारी नहीं बची रहे। क्योंकि करीब चार साल पहले प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की विधानसभा चुनाव में हार के बाद से लगातार श्री कटारिया अपने लिए किसी नई सशक्त भूमिका की तलाश में थे और अपनी कोशिशों के तहत राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में जिम्मेदारी हासिल करने में सफल रहे।

उनकी यह महत्वकांक्षा लगातार बढ़ रही थी और यह आस लगाए बैठे थे कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद यदि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने की स्थिति आई तो नेतृत्व की जिम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है। लेकिन अब असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद ऐसी किसी तरह की महत्वकांक्षा और बाकी नहीं रह जाने वाली हैं।

श्री कटारिया के असम के राज्यपाल बनाए जाने के बाद अब अगला संघर्ष प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी के निर्वाचित नेताओं में खासतौर से विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे नेताओं में शामिल लोगों में नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने की रहेगी।

इसके प्रमुख दावेदारों के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सबसे विश्वस्त सहयोगी अमित शाह की सबसे अंतिम पसंद होने के बावजूद वसुंधरा राजे समेत पिछले चार सालों से श्री कटारिया की तरह ही श्रीमती राजे की छत्र छाया से मुक्त होकर अपने लिए अलग ही भूमिका की तलाश कर रहे उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़, प्रदेश भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया, किरोडी लाल मीणा समेत ओम माथुर भी दावेदार हैं।

हालांकि श्री माथुर राजस्थान विधानसभा से निर्वाचित नहीं हैं। वे राजस्थान से एक बार राज्यसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अब आने वाले दिनों में राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र दास मोदी की अगली प्राथमिकता में कौन होंगे, यह जल्दी ही तय हो जाने वाला है।

भाजपा की मौजूदा राजनीति के जानकारों का मानना है कि यह पसंद कम से कम श्रीमती राजे पर तो आकर खत्म नहीं हो सकती। बाकी जोड़-तोड़ की राजनीति के चलते आने वाले कुछ ही दिनों में क्या कोई नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं, इस बारे में अभी निश्चित रूप से कुछ भी कहना मुश्किल है।