राजपूत क्षत्राणियों के गणगौर महोत्सव में चेतना शक्तावत को गणगौर क्वीन से नवाजा

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कोटा। राजपूत क्षत्राणियों का गणगौर महोत्सव बुधवार को रंगबाड़ी रोड स्थित एक मैरिज गार्डन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में क्षत्राणियां परंपरागत वेशभूषा में लाल रंग की राजपूताना पोशाक में सोलह श्रृंगार करके शामिल हुई। चेतना शक्तावत, को गणगौर क्वीन और क्षत्राणी कोटा का ताज से हिमांशी कंवर हाड़ा को नवाजा गया। कार्यक्रम में गणगौर क्वीन, क्षत्राणी कोटा और फुटरा बाईसा में क्षत्राणियों को सम्मानित कर ट्रॉफी, सर्टिफिकेट, पोशाक व उपहार भेंट किए गए।

तरूणा सोलंकी ने बताया कि कार्यक्रम का आगाज गणपति वंदना से हुआ। राजपूतानी महिलाएं गणगौर का पाना लेकर सभा स्थल में आई और गणगौर माता के गीत व पूजन करते हुए ईसर गणगौर माता की पूजा की। इसके उपरांत नन्हीं बालिकाओं ने बाईसा व क्षत्राणियों ने नृत्य किया। महिलाओं के सामूहिक नृत्य व घूमर पर जमकर तालियां बजी।

एंकर ने गणगौर से जुड़ी प्रथाओं व परम्पराओं पर प्रश्नोत्तरी पूछ कर आकर्षक पुरस्कार वितरित किए। महिलाओं ने स्टेज पर रैंप वॉक भी किया। काजल, पायल, नथ, मांग टिका, सिंदूर, चूडियां, बाजूबंद, बिछिया, मसकारा, गजरा और कमर बंद सहित 16 श्रृंगार कर राजपूतानी महिलाओ ने रैंप वॉक किया। उनकी सुंदरता, वेशभूषा, विचार व श्रृंगार के आधार पर उन्हें गणगौर क्वीन व क्षत्राणी कोटा का पुरस्कार दिया गया।

शिक्षा है आभूषण
मुख्य अतिथि विधायक कल्पना देवी ने बालिकाओं के विवाह के लिए धन व जेवर जोड़ने वाले समाज के अभिभावकों से कहा कि महिलाओं का आज के समय में सबसे बडा जेवर उसकी शिक्षा है। हमें बालिका शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए और उसे आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बालिका के कठिन समय में शिक्षा ही उसका साथ देगी और वह गलत व सही का भेद कर सकेगी। उन्होंने बना में भी संस्कारों की सीख पर जोर देते हुए कहा कि घर की बहन व मां का सम्मान करना हम उन्हें सिखाएं।

संस्कारों व परम्परा से जुड़ें
कश्मीर से कोटा पहुची महारानी कल्पना देवी ने कहा कि हम जहां रहते हैं, वहां की परम्परा व संस्कारों को हमेशा अपने अंदर जोड़कर रखें। इस अवसर उन्होंने अपनी मारवाडी भाषा या हाड़ौती की भाषा से जुडे रहने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि घर में छोटे बच्चों में हम यह सीख नहीं डालेंगे तो बड़े होकर इन्हे अपना नहीं सकते हैं।

बेटियों को सबल बनाएं
बूंदी की पूर्व राजपरिवार की सदस्य रोहणी कुमारी हाड़ा ने कहा कि हमें सबका साथ व सबका विकास की भावना से कार्य करना चाहिए। हमें खुद आगे बढ़ना है और ओरों को भी साथ लेकर चलना है। बूंदी मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. गुलाब कंवर ने कहा कि महिलाएं अन्नपूर्णा होती हैं , परन्तु व खुद के भोजन पर ख्याल नहीं रखती हैं। उन्होंने पूरी नींद लेने व न्यूट्रीशन युक्त भोजन करने की सलाह दी। उन्होंने महिला में सरस्वती, लक्ष्मी व दुर्गा का रूप बताते हुए उसकी शक्ति व सामर्थ्य की बात कही। निर्णायक पूर्व मिस राजस्थान करिश्मा हाड़ा ने अपनी जड़ों से जुड़े रहने और रिमझिम हाड़ा ने बेटियों को सबल बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि बेटियां किसी से कम नहीं होती हैं, उन्हें अवसर व समर्थन मिले तो वह आसमान छू सकती हैं।