Lok Sabha Election: जिन्होंने केवल आकाश में उड़ते देखा उनको विमान सेवा का सपना

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-कृष्ण बलदेव हाडा –
कोटा।
Lok Sabha Election 2024: बूंदी जिले की बूंदी विधानसभा क्षेत्र के हट्टीपुरा, कंजर कॉलोनी, मंगाल, रामनगर जाटान, गुढा नाथावतान, नीम का खेड़ा, उलेड़ा, खुनेठिया, सीन्ता, गरनारा, करजूना, महरामपुर, मंड़ावरा, भैरूपुरा हरड़, जवाहर नगर, आमली, नीवारिका, लोईचा, गुंवार, गुड़गांव, नमाना, सांकड़दा, सिलोर गांवों के मतदाता।

यह ग्रामीण पृष्ठभूमि के स्थानीय माहौल में रचे-बसे वे मतदाता हैं जिनमें से अनेक तो कभी प्राइमरी या मिडिल से आगे पढ़ने ही नहीं गए। क्योंकि उनके अपने गांव या आसपास के किसी गांव में ऎसी शिक्षा हासिल करने की व्यवस्था ही नहीं है। इनमें 99 प्रतिशत मतदाता तो ऎसे हैं, जिन्होंने केवल अपने गांव से ही दूर नील गगन में उड़ता हुआ हवाई जहाज देखा है।

किसी ने हवाई अड्डे या अस्थाई हवाई पट्टी पर खड़े हवाई जहाज तक को नहीं देखा, जिनके बीच में खड़े होकर लोकसभा अध्यक्ष और कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ओम बिरला चुनाव में यह कहकर भाजपा को वोट देने की मांग कर रहे हैं कि कांग्रेस ने पिछले पांच सालों में राजस्थान में उसकी सरकार के कार्यकाल के दौरान कोटा में हवाई अड्डा बनने के मार्ग में केवल बाधा ही डाली है।

इस दौरान तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हवाई अड्डे के लिए जमीन उपलब्ध करवाने के लिए 127 करोड रुपए जमा करवाने थे, लेकिन कांग्रेस सरकार ने मात्र 21 करोड़ रुपए ही जमा करवाएं। इस कारण भूमि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई)के हवाले नहीं हो सकी।

साथ ही यह दावा किया गया कि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शपथ ली और केवल एक सप्ताह में यह धनराशि जमा करा दी। अब डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जा रही है जिसके बनते ही एयरपोर्ट का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

इसके विपरीत इन सभाओं में उपस्थित ज्यादातर लोगों की किसी भी स्तर पर जरूरत या प्राथमिकता कोटा में हवाई अड्डा या कोटा को विमान सेवा से जोड़ने की नहीं बल्कि उनकी जरूरत रबी और खरीफ के कृषि क्षेत्र के दौरान उनको समय पर खाद-बीज उपलब्ध होने के अलावा सिंचाई के लिए पानी मिलने, पर्याप्त मात्रा में कृषि कार्यों के लिए विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित होने की है जिसके बारे में कोई चर्चा नहीं की जा रही।

इसके अलावा इन गांवों में आयोजित सभाओं में मौजूद युवाओं की जरूरत उनके लिए रोजगार के अवसर पैदा करने की है लेकिन इन सभी जगह हुई जनसभाओं में इन तमाम सारे मुद्दों को छोड़कर कोटा में नए हवाई अड्डे के निर्माण और कोटा को विमान सेवा से जोड़ने का सपना दिखाया गया जो इस चुनाव में ही नहीं बल्कि पिछले एक दशक से लगातार दिखाया जाता भी रहा है और शहरी मतदाताओं के साथ ग्रामीण मतदाताओं को कोटा के विमान सेवा से जुड़ने के लाभ बताये जा रहे हैं।

इसके विपरीत जमीनी हकीकत यह है कि कोटा में हवाई अड्डे का निर्माण या कोटा को नियमित रूप से प्रमुख शहरों को विमान सेवा से जोड़ना मौजूदा केंद्र सरकार की कभी प्राथमिकता में शामिल ही नहीं रहा। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के 50 प्रमुख मझौले शहरों में नए हवाई अड्डे बनाने का बजटीय प्रावधान किया गया तब लेकिन प्राथमिकता वाले इन 50 शहरों की सूची में राजस्थान के तीसरे सबसे बड़े शहर कोटा का नाम शामिल नहीं था।

हालांकि वर्ष 1985 में केंद्र में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 21वीं सदी में देश को ले जाने का सपना बुनने वाले राजीव गांधी ने पहली बार देश भर के मझोले शहरों को नियमित विमान सेवा से जोड़ने के गंभीर प्रयास किए थे और इन प्रयासों को धरातल पर उतारने के लिए एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस से हटकर एक नई विमान सेवा ‘वायुदूत’ की शुरुआत की थी।

जिसके बेड़े में छोटे विमानों को शामिल किया था और उन छोटे विमानों के जरिए देश के विभिन्न मझौले शहरों को नियमित विमान सेवा से जोड़ा गया था, जिनमें कोटा भी शामिल था, जहां से कोटा-नई दिल्ली वाया जयपुर विमान सेवा शुरू की गई थी। लेकिन बाद में यह विमान सेवा बंद हो गई। इसकी बड़ी वजह बना पर्याप्त यात्री भार नहीं मिलना जिसके कारण विमान सेवाओं को नियमित रूप से जारी रखने का खर्च भी वहन नहीं हो पा रहा था।

इस विमान सेवा के बंद होने के बाद बीते सालों में कई अवसरों पर जैगसन जैसी कुछ निजी विमान कंपनियों ने कोटा से जयपुर और नई दिल्ली को विमान सेवा से जोड़ने के लिए प्रयास किए। कुछ दिन या कुछ महीने तक यह विमान सेवा जारी रहने के बाद बंद हो गई और इस बार भी विमान सेवाओं के बंद होने की बड़ी वजह पर्याप्त यात्री भार नहीं मिलना ही रहा।

इसके बावजूद पिछले एक दशक से कोटा के लोगों को नियमित विमान सेवा से जोड़ने का सपना दिखाया जा रहा है और उसके साथ यह जोड़ा जा रहा है कि अब चूंकि कोटा देश का प्रमुख कोचिंग सेंटर हो गया है, जहां देश के विभिन्न शहरों से छात्र कोचिंग के लिए आते हैं तो विमान सेवा शुरू करना अपरिहार्य है।

बीते पांच सालों में एक निजी कंपनी ने विमान सेवा शुरू की थी लेकिन इस बार भी यात्री भार नहीं मिलने के कारण बंद कर देनी पड़ी। रहा सवाल कोटा में कोचिंग करने आने वाले छात्रों का तो वे यहां कोचिंग करने आते हैं ना कि कोटा-पटना या अपने किसी ओर पैतृक शहर के लिए डेली अप-ड़ाउन करने को।

निश्चित रूप से आर्थिक समृद्धि बढ़ी है लेकिन क्या वजह रही कि हर बार पर्याप्त यात्री भार नहीं मिलना ही विमान सेवा बंद होने की वजह बना। शेयर बाजार की तरह रोज चढ़ते-उतरते और लगातार महंगा होता हवाई किराया भाड़ा कितने लोग वहन कर सकते हैं? यह विमान सेवा सरकार से मुफ़्त ट्रैवलिंग अलाउंस पाने वाले अधिकारियों और कुछ निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की जरूरत जरूर हो सकती है।