मार्च तक RBI की ब्याज दर 0.40 फीसदी और घटने की उम्मीद

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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) चालू वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले अपनी मुख्य ब्याज दर (रेपो दर) में और 0.40 फीसदी की कटौती कर सकता है। फिच सॉल्यूशंस ने शुक्रवार को देश की भावी ब्याज दर पर अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि आरबीआई द्वारा अब तक की गई कटौती आर्थिक विकास दर में तेजी लाने के लिए काफी नहीं है।

आरबीआई ने सात अगस्त को रेपो और रिवर्स रेपो दर में 0.35 फीसदी कटौती की थी। फिच ने कहा कि आरबीआइ की ब्याज दर कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाए जाने के मामले में बैंकों के खराब प्रदर्शन को देखते हुए उम्मीद है कि आरबीआइ अपनी ब्याज दर में उम्मीद से ज्यादा कटौती करे।

आरबीआइ इस साल चार बार ब्याज दर घटा चुका है, लेकिन उसके अनुरूप वाणिज्यिक बैंकों ने अपनी कर्ज दरों में कटौती नहीं की है। इस साल अब तक आरबीआइ ने अपनी ब्याज दर में कुल 1.10 फीसदी की कटौती कर दी है। इसके बावजूद आर्थिक गतिविधियों में अपेक्षा के अनुरूप तेजी नहीं आई है।

विकास दर पांच साल के निचले स्तर पर पहुंच चुकी हैउपभोक्ताओं के मनोबल में गिरावट दर्ज की जा रही है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) भी एक स्तर पर जाकर ठहर गया है। वाहन क्षेत्र दो दशकों के सर्वाधिक बुरे दौर से गुजर रहा है। वाहन और इससे जुड़े क्षेत्रों में हजारों लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है।

विकास दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान
फिच ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की विकास दर 6.8 फीसदी रह सकती है। यह आरबीआई के अनुमान से भी कम है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश की विकास का अनुमान 6.9 फीसदी रखा है।

फिच ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश की महंगाई का अनुमान 3.8 फीसदी बनाए रखा है। यह आरबीआइ के चार फीसदी के लक्ष्य से कम है। फिच ने कहा कि महंगाई दर के कम रहने के कारण भी आरबीआई विकास तेज करने पर ध्यान दे सकता है और ब्याज दर घटा सकता है।