मानसून का प्रसार अच्छा रहने से खरीफ फसलों के बंपर पैदावार के आसार

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नई दिल्ली। खरीफ फसलों का उत्पादन इस साल 5-6 फीसदी ज्यादा हो सकता है। सोमवार को जारी क्रिसिल रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फसलों का रकबा बढ़ने और देशभर में मानसून का प्रसार बेहतर रहने से उत्पादकता में होने वाली बढ़ोतरी के कारण इस साल खरीफ फसलों का ज्यादा उत्पादन होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 21 अगस्त तक मानसूनी बारिश लंबी अवधि के औसत से 7 फीसदी ज्यादा हुई है।

इस साल अभी तक खरीफ फसलों का बोआई क्षेत्र 2-3 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 10.9 करोड़ हेक्टेयर पर पहुंच गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बारिश के बेहतर प्रसार के कारण उत्पादकता भी 2-3 फीसदी बढ़ जाएगी। क्रिसिल रिसर्च की डायरेक्टर हेतल गांधी ने एक वेबिनार में कहा कि बेहतर बारिश और पूर्वी व दक्षिणी राज्यों में रिवर्स माइग्रेशन के कारण धान की ज्यादा उपज होगी।

फसलों की प्रॉफिटेबिलिटी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी पूर्वी राज्यों में होगी
उन्होंने कहा कि इस साल के खरीफ सत्र में निचले बेस के कारण फसल की प्रॉफिटेबिलिटी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी पूर्वी राज्यों में होगी। दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों को कॉटन और मक्के की कम कीमत का नुकसान झेलना पड़ेगा। वहीं, बेहतर क्रॉप मिक्स और ज्यादा सरकारी खरीद के कारण उत्तरी राज्यों को सबसे ज्यादा लाभ होगा।

रिपोर्ट के मुताबिक सब्जी, कॉटन और मक्के का रकबा पिछले साल के मुकाबले घट जाएगा, क्योंकि कम कीमत के कारण किसानों ने इनसे किनारा किया है। कोरोनावायरस महामारी के कारण सप्लाई चेन खराब हुआ है, इसलिए किसानों ने टमाटर जैसे जल्दी सड़ने वाले फसल से दूरी बनाई है और भिंडी व बैगन जैसे देरी से सड़ने वाले फसलों में ज्यादा दिलचस्पी ली है।

गांधी ने हालांकि कहा कि बंपर उत्पादन होने से कई फसलों की कीमत गिरेगी। लेकिन धान की सरकारी खरीद, ज्यादा लाभ देने वाले फसलों की ज्यादा बोआई और पिछले साल के मुकाबले ज्यादा उत्पादकता के कारण कुल मिलाकर प्रॉफिटेबिलिटी में बढ़ोतरी होगी। रकबा और उत्पादकता में बढ़ोतरी और एमएसपी पर सरकारी खरीद के कारण इस खरीफ सत्र में खेती और बागान वाली फसलें किसानों को प्रति हेक्टेयर 3-5 फीसदी ज्यादा लाभ दे सकती हैं।

उन्होंने कहा कि एमएसपी में 3 फीसदी बढ़ोतरी के कारण धान की कीमत और प्रॉफिटेबिलिटी में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। इसके साथ ही सरकारी कीमत में बढ़ोतरी से गन्ने की प्रॉफिटेबिलिटी में भी बढ़ोतरी हो सकती है। बागान वाली फसलों में सेब की प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ सकती है, क्योंकि पिछले साल इसकी कीमत कम थी और इस साल कीमत बढ़ने की भी उम्मीद है। इसके उलट देश और विदेश में कीमत घटने से कॉटन और मक्के की प्रॉफिटेबिलिटी पर दबाव बना रहेगा।