भ्रष्टाचार पर प्रहार, 15 शीर्ष भ्रष्ट आयकर अधिकारी जबरन रिटायर

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नई दिल्ली। भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ मोदी सरकार की सख्ती जारी है। अब खबर है कि आयकर विभाग के 15 और वरिष्ठ आयकर अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया है। इन सभी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। यह कार्रवाई कितनी बड़ी है अंजादा इसी से लगाया जा सकता है कि इन अफसरों में प्रिंसिपल कमिश्नर, कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर, एडीशनल कमिश्नर और असिस्टेंट कमिश्नर तक शामिल हैं। इस साल जून के बाद यह चौथा मौका है जब सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है।

ये हैं भ्रष्ट अफसरों के नाम

  1. लखनऊ के तत्कालीन कमिश्नर इनकम टैक्स (अपील) ओपी मीणा
  2. चेन्नई में तैनात कमिश्नर शैलेंद्र मामिदी।
  3. इनकम टैक्स कमिश्नर पीके बजाज
  4. इनकम टैक्स ज्वाइंट कमिश्नर संजीव घेई
  5. इनकम टैक्स एडिशनल कमिश्नर जयप्रकाश
  6. इनकम टैक्स एडिशनल कमिश्नर वी. अप्पला राजू
  7. इनकम टैक्स एसिस्टेंट कमिश्नर राकेश एच. शर्मा
  8. डिप्टी कमिश्नर नितिन गर्ग
  9. डिप्टी कमिश्नर इनकम टैक्स एसए फजलुल्ला
  10. डिप्टी कमिश्नर कृपा सागर दास
  11. असिस्टेंट कमिश्नर पी. जोश कुंजीप्पलु
  12. असिस्टेंट कमिश्नर सीजे विन्सेंट
  13. कमिश्नर टीके भट्टाचार्य
  14. ज्वाइंट कमिश्नर कमलेश कुमार त्रिपाठी
  15. एडीशनल कमिश्नर एसआर सेनापति

क्या है ऐसी कार्रवाई का नियम
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डाइरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने फंडामेंटल रूल 56 (जे) का इस्तेमाल करते हुए इस कार्रवाई को अंजाम दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस साल 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन करते हुए कहा था कि टैक्स प्रशासन को कलंकित करने वाले कई ऐसे अधिकारी हैं जिन्होंने हो सकता है कि अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर ईमानदार करदाताओं को तंग किया हो। सरकार ऐसे व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगी। इसलिए हाल में कई ऐसे अधिकारियों को नौकरी से निकाला गया है।

उल्लेखनीय है कि CBDT के इस कदम पूर्व अगस्त में सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडाइरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम (CBIC) भी कई आला अफसरों को फंडामेंटल रूल 56जे का इस्तेमाल करते हुए जबरन रिटायर कर चुका है। कुल मिलाकर सरकार पिछले चार महीनों में भ्रष्टाचार के आरोपित तकरीबन 64 टैक्स अधिकारियों को जबरन रिटायर कर चुकी है।

सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स, 1972 के नियम 56जे के तहत सरकार कर्मचारियों की सेवा की समीक्षा कर सकती है और यह देख सकती है कि उनको जनहित में सरकारी नौकरी में बनाए रखा जाए या नहीं। कर्मचारियों के 50-55 की उम्र पर पहुंचने और 30 साल की सेवा पूरी होने के छह महीने पहले कामकाज की समीक्षा की जा सकती है।