भाजपा को विधान सभा चुनाव में ईआरसीपी मसले पर चुप्पी पड़ेगी महंगी

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पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के मसले पर किसानों की नब्ज टटोल पाने में भारतीय जनता पार्टी लगातार विफल हो रही है। भाजपा की परिवर्तन संकल्प यात्रा हाडोती संभाग में प्रवेश कर चुकी हैं। ऐसे में प्रदेश की महत्वकांक्षी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना समूचे हाडोती के किसानों के लिये बहुत ही अहम है। क्योंकि इससे भविष्य में यहां के हज़ारों किसान लाभान्वित होने वाले हैं। भाजपा के निर्वाचित प्रतिनिधि मौन रहकर अपनी ही पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

-कृष्ण बलदेव हाडा –
कोटा। East Rajasthan Canal Project: भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ निकाली जा रहे परिवर्तन संकल्प यात्रा हाडोती संभाग में बूंदी जिले के रास्ते से प्रवेश कर चुकी है और इस परिवर्तन यात्रा का हाडोती में 21 सितंबर तक के प्रवास का कार्यक्रम है जिसमें केंद्रीय मंत्रियों सहित दो राज्यों के मुख्यमंत्री भी भाग देने वाले हैं।

इस परिवर्तन यात्रा के दौरान अभी तक भाजपा के किसी भी केंद्रीय नेता ने प्रदेश की महत्वकांक्षी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के मसले पर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है और ना ही राजस्थान के 13 जिलों के किसानों के लिए वरदान साबित होने वाली इस परियोजना का मसला केंद्र सरकार के समक्ष रखने के बारे में बात की है।

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से (ईआरसीपी) के अस्तित्व में आने के बाद राज्य के जो जिले इससे लाभान्वित होने वाले हैं,उनमें हाडोती संभाग के चारों जिले कोटा,बूंदी,बारां और झालावाड़ शामिल है। यहां के हजारों किसान परिवारों कोइस परियोजना से न केवल सिंचाई के लिए पानी मिलने वाला है बल्कि उनके प्यास बुझाने में भी मदद मिलेगी।

इस मसले पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले साढ़े चार सालों से लगातार मुखर है और इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार वायदा करने के बावजूद इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने में अभी तक आनाकानी कर रही है।

निश्चित रूप से यदि कांग्रेस इस मामले में लगातार सक्रिय भूमिका में रही तो इन 13 जिलों के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के प्रति जो नकारात्मक स्थिति बन रही है उसका खामियाजा अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा को उठाना पड़ सकता है और कांग्रेस फ़ायदे में रहने वाली है।

प्रधानमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव प्रचार के दौरान अजमेर और जयपुर के ग्रामीण इलाकों में जनसभाओं को संबोधित करते हुए यह वायदा किया था कि चुनाव के बाद पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जाएगा ताकि इस परियोजना से 13 जिलों के किसान किनारों को लाभान्वित हो सके।

विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार के बाद प्रधानमंत्री ने अपना वादा नहीं निभाया और बीते साढे 4 सालों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से प्रधानमंत्री सहित जोधपुर से सांसद निर्वाचित केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित राज्य के सभी सांसदों से इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने में सहयोग देने का आग्रह किया जा रहा है।

राज्य सरकार तो इस परियोजना के लिए अपने स्तर पर वार्षिक बजट में वित्तीय प्रावधान भी कर रही है, लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार ने चुप्पी साध रखी है और अभी तक इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने के मसले को आगे नहीं बढ़ाया गया है।

मुख्यमंत्री की बड़ी शिकायत यह है कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत राजस्थान से ही निर्वाचित सांसद होने के नाते अपने मंत्रालय के अधीनस्थ इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने में पूरी तरह से सक्षम है, लेकिन इसके बावजूद बीते 4 सालों मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान एक बार भी वे प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष इस मसले को रख पाने में विफल साबित हुए हैं।

गजेंद्र सिंह शेखावत ने यदि गंभीरता से प्रयास किए होते तो इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करके लाखों किसानों को लाभान्वित किया जा सकता था। केंद्र सरकार के पास लंबे समय से लंबित योजनाओं में सबसे महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) है।

इसके एक बार बनकर तैयार हो जाने के बाद राजस्थान के 13 जिलों जिनमें हाडोती संभाग के कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ जिलों सहित सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर के लाखों किसान लाभान्वित होंगे।

क्योंकि इससे न केवल इन 13 जिलों की हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित कर वहां की कृषि उत्पादन क्षमता बढ़ाने और किसानों की दृष्टि से उनकी आर्थिक समृद्धि को मजबूत करने के लिए पानी मिलेगा। बल्कि इन सभी जिलों में भूमिगत जल स्तर के काफी गहरे चले जाने के कारण प्यासे रह रहे हजारों-लाखों लोगों के कंठ की प्यास बुझ सकेगी।