बिना परमिशन उद्योग लगाने की छूट देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य

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तीन साल तक बिना किसी परमिशन के चला सकेंगे नए उद्योग, सरकारी नुमाइंदे नहीं कर पाएंगे जांच

नई दिल्ली। देश के युवाओं और उद्योगपतियों को रिझाने के लिए राजस्थान सरकार ने नया कानून लागू किया है। इसके तहत राजस्थान में स्टार्टअप्स या नए उद्योग लगाने पर तीन साल तक किसी भी तरह की अनुमति की जरूरत नहीं है। यही नहीं, कोई भी सरकारी नुमाइंदा नए उद्योग के आसपास भटक भी नहीं सकता है। छूट का फायदा पूरे देश के उद्यमी उठा सकेंगे।

सिर्फ उद्योग शुरू करने की सूचना देना होगा
निवेश को आकर्षित करने के लिए राजस्थान सरकार ने पिछले सप्ताह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (स्थापना और संचालन की सुविधा) अध्यादेश, 2019 जारी किया है। इसमें एक नया उद्यम या इंडस्ट्री स्थापित करने के लिए निवेशक को केवल “आशय की घोषणा” प्रस्तुत करना होगा। सरकार तुरंत ही पावती प्रमाणपत्र जारी करेगी।

इसके बाद संबंधित निवेशक या उद्यमी अपना उद्योग शुरू कर सकता है। गौरतलब है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि राज्य सरकार एमएसएमई उद्योगों के लिए ऐसी पॉलिसी ला रही है जिसमें उद्योग स्थापित करने के लिए किसी तरह अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। इसी बीच आदर्श आचार चुनाव संहिता लगने की वजह से सरकार नीति जारी नहीं कर पाई थी।

प्रोडक्ट बनाने व श्रम के कानून का पालन करना होगा
अध्यादेश राजस्थान के दूसरे कानूनों के तहत अनुमति और निरीक्षण से छूट प्रदान करता है लेकिन प्रचलित नियमों का पालन करना होगा। जैसे कि यदि कोई नमकीन बनाने का कारखाना लगाता है तो उसे तीन साल तक भू उपयोग, प्रदूषण अनुमति, डायवर्सन आदि की जरूरत नहीं होगी। लेकिन उसे नमकीन बनाने के दौरान श्रम से जुड़े कानून जैसे कि बाल मजदूरी व खाद्य शुद्धता के नियम आदि मानने पड़ेंगे। इसी तरह केंद्रीय कानून ईपीएफ, फैक्ट्री एक्ट 1948, ईएसआईसी आदि का पालन करना होगा।

तीन साल के बाद छह महीने का और मिलेगा वक्त
तीन साल की समाप्ति के बाद उद्यमी को छह महीने के भीतर आवश्यक अनुमतियां लेना होगा। यह नियम 5 मार्च के बाद से लागू माना जाएगा। यानी 5 मार्च के बाद खुले नए उद्योग इसके दायरे में आएंगे। राजस्थान उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल ने कहा कि विभाग जल्द ही आवेदन जमा करने और पावती प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए एक वेबसाइट शुरू करेगा।

अब तक, दो कंपनियों ने रुचि दिखाई है। अग्रवाल ने बताया कि पूर्व में निवेशकों को मंजूरी मिलने में आ रही दिक्कत की वजह से प्रोजेक्ट की रफ्तार कम हो रही थी। यही नहीं, कई उद्योग शुरू ही नहीं हो पा रहे थे। अब नए नियम बाधाओं को दूर करेंगे और कारोबार करने में आसानी बढ़ाएंगे।