बारिश नहीं हुई तो देशभर में सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित होगा

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नई दिल्ली। देश के ज्यादातर हिस्सों में मॉनसून सुस्त पड़ने से खरीफ फसलों पर खतरा मंडराने लगा है। मॉनसून ने दोबारा रफ्तार जल्द नहीं पकड़ी तो सभी प्रमुख फसलों का उत्पादन कम रह सकता है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब और गुजरात जैसे देश के प्रमुख फसल उत्पादक राज्यों में अगस्त में हुई बारिश इस महीने के लिए दीर्घावधि औसत की तुलना में 30 से 90 प्रतिशत तक कम हुई है।

कई मौसम वैज्ञानिकों को सितंबर या इसके बाद भी मॉनसून दोबारा सक्रिय होने के आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे। हालांकि बंगाल की खाड़ी में 5-6 सितंबर के बीच कुछ हलचल दिख सकती है मगर इससे बारिश में कमी की भरपाई होती नहीं दिख रही।

मृदा विज्ञान मंत्रालय में सचिव रह चुके माधवन राजीवन ने बताया, ‘जिन वर्षों में अल नीनो प्रभाव देखा गया है, उनमें ज्यादातर (70 प्रतिशत) में सितंबर में बारिश कम से कम 10 प्रतिशत कम रही है।’

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने मौसम विभाग के कुछ अधिकारियों के हवाले से खबर दी है कि इस साल बारिश लगभग 8 प्रतिशत तक कम रह सकती है। इन अधिकारियों के अनुसार पिछले आठ वर्षों में पहली बार बारिश इतनी कम होगी। राजीवन ने कहा, ‘मेरे हिसाब से सितंबर के पहले सप्ताह के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि इस साल बारिश कितनी कम रह रहेगी।’

इस बीच अगस्त में वर्षा कम होने से देश के कई राज्यों में खरीफ की फसलें प्रभावित हो रही हैं। आशंका जताई जा रही है कि अगले 10-15 दिनों में पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो देश के उन हिस्सों में फसलों की पैदावार कम रह सकती है जहां सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं है। जिन इलाकों में सिंचाई सुविधाएं हैं वहां भी किसानों की लागत बढ़ जाएगी।

इंदौर में भारतीय सोयाबीन प्रसंस्करणकर्ता संघ (सोपा) ने खेतों में खड़ी फसलों का जायजा लेने के लिए एक सर्वेक्षण किया था। इस सर्वेक्षण के अनुसार अगस्त में बारिश काफी कम हुई है और सोयाबीन की फसल को अब तक तो खास नुकसान नहीं पहुंचा है मगर तत्काल बारिश नहीं हुई तो मामला बिगड़ सकता है।

सोपा ने कहा, ‘अब भी बारिश नहीं हुई तो पूरे देश में सोयाबीन की फसल को तगड़ा नुकसान हो सकता है। नुकसान कितना रहेगा यह मॉनसून की चाल पर निर्भर रहेगा, इसलिए फिलहाल उत्पादन के आंकड़े का कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। सारा दारोमदार अगले 45 दिनों में मॉनसून की चाल पर निर्भर करेगा।’ सोपा ने देश के तीन प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सर्वेक्षण किया था।

जिंसों का विश्लेषण करने वाली संस्था आईग्रेन इंडिया ने भी फसलों की हालत एवं मॉनसून की स्थिति का राज्यवार विश्लेषण किया है। इसमें कहा गया है कि राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सभी प्रमुख फसलों के लिए तत्काल बारिश की जरूरत महसूस की जा रही है।

आईग्रेन ने अपने विश्लेषण में कहा है कि राजस्थान में सभी प्रमुख फसलों के लिए बारिश की जरूरत महसूस हो रही है। सोयाबीन के सबसे बड़े उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में भी यह फसल बारिश के बिना कमजोर हो रही है। गुजरात में भी सभी प्रमुख फसलों जैसे सोयाबीन, अरहर, धान, मूंगफली और मूंग को सिंचाई की जरूरत है और अगले 10-15 दिनों में बारिश नहीं हुई तो उत्पादन कम रह सकता है।

आईग्रेन इंडिया के राहुल चौहान ने कहा, ‘सितंबर और अगले कुछ महीनों में पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो रबी फसलों के लिए भी हालात प्रतिकूल हो सकते हैं।’ महाराष्ट्र में भी सभी प्रमुख फसलें- मूंग, कपास, सोयाबीन, अरहर आदि- सिंचाई की बाट जोह रही हैं।

सोयाबीन का रकबा एक फीसदी बढ़ा
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 25 अगस्त तक देश में 124.71 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोआई हो चुकी है, पिछली समान अवधि की तुलना में करीब एक फीसदी अधिक है। इस साल मध्य प्रदेश में 53.35 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 50.02 लाख हेक्टेयर में और राजस्थान में 11.44 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है। SOPA के अनुसार पिछले साल देश में करीब 124 लाख टन सोयाबीन पैदा हुआ था।