बदलाव: अब सिर्फ तीन साल की होगी प्राथमिक शिक्षा

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नई दिल्ली। प्रस्तावित नई शिक्षा नीति को लागू करने के अपने इरादे में सरकार यदि सफल हुई, तो देश का 50 साल पुराना स्कूली शिक्षा का ढांचा पूरी तरह से बदल जाएगा। हालांकि सरकार ने जिस तरह से बजट में इसे लागू करने का इरादा जताया है, उसके बाद इसे लेकर हलचल बढ़ी हुई है।

इसके चलते जो बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे, उनमें स्कूली शिक्षा में फाउंडेशन स्तर के एक नए शिक्षाक्रम की शुरूआत होगी। जिसमें प्री-प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक की पढाई शामिल होगी। जबकि प्राथमिक (प्राइमरी) शिक्षाक्रम सिमट कर तीसरी, चौथी और पांचवी तक रह जाएगा। स्कूली शिक्षा का मौजूदा ढांचा 1968 में तैयार किया गया था।

नई शिक्षा नीति के प्रस्तावित मसौदे में स्कूली शिक्षा के ढांचे में बदलाव के इस लक्ष्य को 2022 तक हासिल करने की सिफारिश की गई है। साथ ही कहा कि इससे स्कूली शिक्षा में रटने-रटाने का चलन खत्म होगा और बच्चों में आवश्यक ज्ञान, मूल्य, रूझान, हुनर और कौशल जैसे तार्किक चिंतन, बहुभाषी क्षमता और डिजिटल साक्षरता जैसे विषयों के विकास में मदद मिलेगी।

नीति में स्कूली शिक्षा के ढांचे में बदलाव की जो और बड़ी सिफारिशें की गई है, उनमें स्कूली शिक्षा का तीसरा क्रम माध्यमिक स्तर का होगा, जो तीन साल का होगा और इनमें कक्षा छह, सात और आठवीं शामिल होगा। वहीं चौथा क्रम उच्च या सेकेंडरी स्तर का होगा। जो चार वर्ष का होगा। जिसमें नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई शामिल होगी।

वहीं स्कूली शिक्षा में प्रस्तावित फाउंडेशन शिक्षा पांच सालों की होगी। जिसमें तीन साल प्री-प्राइमरी और दो साल में पहली और दूसरी की पढ़ाई होगी। नीति के मुताबकि बदलाव की यह सिफारिश मौजूदा दौर में बच्चों की उम्र और उनकी जरूरतों के लिहाज से तय किया गया है। हालांकि नीति में यह साफ किया गया है, कि इस आधार पर भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव करने की कोई जरूरत नहीं है।

स्कूली शिक्षा का कुछ इस तरह का होगा प्रस्तावित ढांचा

  • पांच वर्षो की बुनियादी अवस्था( फाउंडेशन स्टेज): इनमें तीन वर्ष प्री प्राइमरी स्कूल के और पहली और दूसरी कक्षा होगी शामिल।
  • प्राथमिक(प्राइमरी) शिक्षा तीन वर्ष की होगी: इनमें अब सिर्फ कक्षा तीन, चार और पांच शामिल होगा।
    -तीन वर्ष की होगी माध्यमिक अवस्था: इनमें कक्षा छह, सात और आठ होगा शामिल।
  • उच्च या सेकेंडरी अवस्था: यह चार वर्षो की होगी। इनमें कक्षा नौ, दस, ग्यारहवीं और बारहवीं होगा शामिल।