फोन टैपिंग केस: विपक्ष आरोप साबित करे, गहलोत सरकार इस्तीफा दे देगी-धारीवाल

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जयपुर। विवादास्पद फोन टैपिंग प्रकरण में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में विपक्ष को चुनौती दी कि अगर वह अपने आरोप साबित कर दे तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित पूरी सरकार इस्तीफा दे देगी।

उधर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेषाधिकारी (ओएसडी) लोकेश शर्मा ने विवादास्पद फोन टैपिंग प्रकरण में संलिप्तता के आरोपों को खारिज करते हुए शनिवार को कहा कि उन्होंने तो सोशल मीडिया पर उपलब्ध क्लिप को ‘फॉरवर्ड’ किया था ताकि चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र का खुलासा हो सके।

उन्होंने कहा, ” मेरे खिलाफ फोन टैपिंग में संलिप्त होने के आरोप आधारहीन हैं। वह ऑडियो क्लिप पहले ही सोशल मीडिया में चल रही थी। मुझे वह क्लिप सोशल मीडिया पर मिली और मैंने उसे फॉरवर्ड कर दिया ताकि राज्य में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को गिराने के षड्यंत्र का खुलासा हो सके।”

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने हाल ही में दिल्ली के एक थाने में शर्मा व अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने और गैरकानूनी तरीके से टेलीग्राफिक सिग्नल (टेलीफोन की बातचीत) को टैप करने के आरोप में शिकायत दर्ज की है।

वहीं, विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि शेखावत को अपने राज्य की पुलिस पर भरोसा नहीं है, इसलिए उन्होंने विशेष कार्यबल और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो एसीबी को अपनी आवाज का नमूना नहीं दिया।

जोशी ने ट्वीट किया,” शेखावत को अपने राज्य की पुलिस पर विश्वास नहीं है इसलिए उन्होंने एसओजी, एसीबी द्वारा मांगने पर आवाज का नमूना नहीं दिया लेकिन अब उनकी केंद्र सरकार के अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को अपनी आवाज का नमूना देकर अपनी ही प्राथमिकी को मजबूत बनाने की कोशिश करें, साबित करें कि उनका टेलीफोन टैप हुआ है।’

जोधपुर से सांसद शेखावत की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने शर्मा व अन्य के खिलाफ भारतीय टेलीग्राफ कानून 1885, सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 409, व भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत मामला दर्ज किया है।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल कांग्रेस के कुछ विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए जाने के बाद कांग्रेस ने अपने विधायकों को लंबे समय तक अलग-अलग होटलों में रखा था। इस दौरान विधायकों के फोन टैप किए जाने के आरोप लगे थे हालांकि अधिकारियों व सरकार की ओर से इसका लगातार खंडन किया गया।

पिछले साल अगस्त में भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने राज्य में फोन टैपिंग के बारे में सवाल पूछा था जिसका जवाब इस महीने राज्य विधानसभा की वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ। इसके बाद यह मामला फिर गर्मा गया है।

इस मामले को लेकर पिछले दिनों विधानसभा में हंगामा हुआ था, जहां राजस्थान सरकार ने राज्य में नेताओं के फोन टैपिंग के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि राज्य में किसी विधायक, सांसद या जनप्रतिनिधि का फोन टैप नहीं हुआ है।