फेफड़ों को दुरुस्त करने के लिए खाइए गिलोय, हल्दी और मुलेठी

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कोटा। फेफड़े यानी लंग्स, मानव शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं, खासकर कोविड-19 महामारी के वायरल संक्रमण से प्रभावित होने वाले मुख्य अंगों में फेफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित अंग हैं। वास्तव में, न केवल कोविड-19, बल्कि ज्यादातर संक्रमण के कारण वायरस फेफड़ों को ही सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं और श्वसन संक्रमण का कारण बनते हैं। अन्य हेल्थ प्रॉबलम्स, जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करती हैं, उनमें फेफड़े का कैंसर शामिल है, जो दुनिया भर में कैंसर प्रभावित लोगों में पाये जानेवाले सबसे आम कैंसर में से एक है।

हालांकि, इसके अलावा भी फेफड़ों को ऐसे कई घातक संक्रमणों और विकारों का खतरा हो सकता है, जिसके लिए उन्हें हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज के जरिये स्वस्थ रखा जा सकता है। एक बैलेंस्ड डाइट जिसमें एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन ए, ई, डी, सी, और मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे मिनरल्स शामिल होते हैं, फेफड़ों को स्वस्थ रखकर उन्हें सुचारु रूप से कार्य करने में मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही, प्रतिदिन एक्सरसाइज करने से भी यह बेनिफिट मिलता है कि आपके फेफड़ों की कार्य क्षमता बढ़ाने में और उनके स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। यहां कुछ हर्ब्स और मसालों के बारे में हम आपको बता रहे हैं आयुर्वेद डॉक्टर सुधींद्र शृंगी –

हल्दी: भारतीय रसोई में उपयोग किए जाने वाले मसालों में हल्दी एक प्रमुख मसाला है, जिससे मिलने वाले हेल्थ बेनिफिट्स कमाल के होते हैं। हल्दी अपने एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी-सेप्टिक गुणों के लिए लोकप्रिय है। हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट सूजन को कम करने और श्वसन नली को साफ रखकर सांस लेने-निकालने को सुगम बनाने में मदद करते हैं। हल्दी एक नेचुरल एंटी-वायरल है, जो फेफड़ों को प्रभावित करनेवाले वायरल संक्रमणों को दूर रखने में मदद करता है, जिसके कारण शरीर स्वस्थ रहता है।

मुलेठी: मुलेठी हर भारतीय घर में घरेलू उपचारों में प्रयोग किया जानेवाला सबसे कॉमन हर्ब है। इसका उपयोग श्वसन संबंधी समस्याओं, सर्दी और खांसी को दूर करने के लिए किया जाता है। मुलेठी में मौजूद कंपाउंड फेफड़ों में जमा होनेवाले बलगम को निकालने में मदद करके फेफड़ों को स्वस्थ रखते हैं।

गिलोय : गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण यह सांसो से संबंधित रोगों से आराम दिलाने में प्रभावशाली है। गिलोय या गुडूची (Guduchi) कफ को नियंत्रित करती है साथ ही साथ इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाती है जिससे अस्थमा और खांसी जैसे रोगों से बचाव होता है और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।

खुराक और सेवन का तरीका : अस्थमा से बचाव के लिए गिलोय चूर्ण में मुलेठी चूर्ण मिलाकर शहद के साथ दिन में दो बार इसका सेवन करें। यह मिश्रण सांसो से जुड़ी अन्य समस्याओं से आराम दिलाने में भी कारगर है।