पूनिया-किरोड़ी विवाद सतह पर, फजीहत की हद तक उतरे

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के नेता अगले विधानसभा चुनाव में वर्तमान में सत्तारूढ़ कांग्रेस से एकजुट होकर मुकाबला करने के बजाय आपसी कलह में डूबे है।

अब तक पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे और गैर वसुंधरा राजे के दो गुटों में बटी प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का गैर वसुंधरा राजे गुट अब खुद इतने खेमों में बंट गया है कि स्थिति आपसी प्रतिद्वंद्विता के चलते जूतम-पैजार तक की नौबत तक पहुंच गई है।

प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और भाजपा के वरिष्ठ नेता सांसद डॉ. किरोडी लाल मीणा के समर्थकों के बीच हाय-हाय, जिंदाबाद-मुर्दाबाद के खुले आम नारों से पार्टी के इस खेमे के गुटों के नेताओं के आपसी कलह का पता लग जाता है।

हाल ही में जयपुर में वीरांगनाओं को उनका हक दिलवाने के लिए आयोजित आंदोलन के दौरान ज्यादातर समय प्रदर्शन में इन दोनों नेताओं के कार्यकर्ता वीरांगनाओं की जगह अपने-अपने नेताओं को उनका ‘हक’ दिलाने की लड़ाई लड़ते हुये नारेबाजी करने में ज्यादा मशगूल नजर आए।

वीरांगनाओं के हक को लेकर किए गए आंदोलन के दौरान यह सामने आया कि पूर्व मंत्री रहे और वर्तमान में सांसद डॉ. किरोडी लाल मीणा के समर्थक वीरांगनाओं के हक में की जा रही लड़ाई के दौरान उनकी मांग मनवाने के लिये राज्य सरकार और उसके मुखिया अशोक गहलोत से कहीं ज्यादा प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सतीश पूनिया के खिलाफ खुलकर मुर्दाबाद और हाय-हाय के नारे लगाते नजर आये।

जिसका नतीजा यह निकला कि राजस्थान के प्रभारी अरुण सिंह तक को प्रदेश के दौरे के समय इस घटना को गंभीरता के साथ संज्ञान में लेना पड़ा और उन्हें यह कहने के लिए मजबूर होना पड़ा कि-” सतीश पूनिया हाय-हाय, सतीश पूनिया मुर्दाबाद के नारे लगाने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।”

हालांकि जैसा कि आमतौर पर राजनेता कहते हैं, सिंह ने भी कह दिया कि ऐसे नारे लगाने वाले लोग भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता नहीं हो सकते लेकिन जब साथ ही उन्होंने यह कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही होगी तो सवाल यही उठता है कि जब वे लोग भारतीय जनता पार्टी के ही नहीं तो वे किसके खिलाफ कार्यवाही करना चाहते हैं?

स्पष्ट है कि पार्टी नेता बखूबी जानते हैं कि सतीश पूनिया के खिलाफ हाय-हाय के नारे लगाने वाले लोग किरोड़ी समर्थक है क्योंकि जब यह नारे लगा रहे थे,उस समय नारे लगाने वालों के नेता डॉ. किरोड़ी वीरांगनाओं के साथ जुलूस निकाल रहे थे और मीणा ने भी किसी को नारे लगाने से नही रोका। ऎसे में जाहिर है कि वे मीणा समर्थक भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता ही हैं।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और सांसद डॉ. किरोडी लाल मीणा के बीच अदावत पुरानी है लेकिन पहली बार यह उस समय खुलकर सामने आई थी जब पेपर लीक के मसले को लेकर डा. मीणा मुखर होकर आंदोलन करने पर उतरे थे और उन्होंने इस आंदोलन में राज्य सरकार के खिलाफ़ प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का सहयोग मांगा था।

अंदर की खबर यह है कि ऊपरी तौर पर तो पूनिया ने पेपर लीक की जमकर आलोचना की। जब डॉ.मीणा पेपर लीक की सीबीआई से जांच करवाने की मांग पर अड़ गए तो कही उनकी राजनीति चमक न जाये, इस भय से पूनिया पीछे हट गए। मांग जोर नहीं पकड़ कर अंजाम तक नही पहुंच पाई, जिसका नतीजा यह निकला कि केवल राज्य सरकार के स्तर पर एसआईटी ही इस मामले की जांच कर रही है।

इस घटना से डॉ. किरोडी लाल मीणा काफी आहत हुए थे और उन्होंने अपने समर्थकों के बीच कई अवसरों पर सतीश पूनिया की जमकर आलोचना भी की थी। अब जब वीरांगनाओं को उनकी मांगों पर हक दिलवाने के लिए आंदोलन करने की बात सामने आई तो डॉ. किरोडी एवं सतीश पूनिया के बीच का विवाद सतह पर आ गया। और विवाद इस हद तक पहुंच गया है कि डॉ. किरोडी के उत्तेजित समर्थकों ने ‘सतीश पूनिया मुर्दाबाद’ और ‘सतीश पूनिया हाय-हाय’ तक के नारे लगाकर पार्टी के प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व को सांसत में डाल दिया।

अब प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह जैसे-तैसे दोनों गुटों के बीच के विवाद को शांत करने की कोशिशों के तहत जयपुर पहुंच गए हैं और मामले को दबाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि अरुण सिंह ने ‘सतीश पूनिया हाय-हाय’ के नारे लगाने वालों के खिलाफ कार्यवाही की बात कहकर डॉ.मीणा समर्थकों में नाराजगी की भावना पैदा की है।

समझा जाता है कि अरुण सिंह इस मसले पर डॉ. किरोड़ी के स्वस्थ होकर घर लौटने के बाद उनसे विस्तार से चर्चा कर विवाद का हल निकाल सकते हैं। इस बीच अरुण सिंह ने रविवार को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती डॉ. किरोड़ी से मिलकर उनकी कुशलक्षेम पूछी थी।