देश में कोचिंग संस्थानों का 52,000 करोड़ का कारोबार

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नई दिल्ली। भारत में लंबे वक्त से शिक्षा में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ रही है, यहां तक कि कई मायनों में भारत के शिक्षा क्षेत्र को शिक्षा उद्योग भी कहा जा सकता है। इस शिक्षा उद्योग में एक बड़ा हिस्सा कोचिंग उद्योग का है। देश के तमाम छोटे-बड़े शहरों, कस्बों में तरह-तरह के कोचिंग संस्थान चल रहे हैं, जो आईआईटी, मेडिकल में प्रवेश के अलावा संघ लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षाओं और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग करते हैं।

टेक्नो पैक के आंकड़ों के अनुसार, देश में निजी कोचिंग क्षेत्र वर्तमान में 51,712 करोड़ रुपए का उद्योग है, जो 2008 में 11, 721 करोड़ रुपए का था। राजस्थान का कोटा शहर तो कोचिंग के लिए ही जाना जाता है।

कोचिंग उद्योग की पूंजी अरबों रुपए में पहुंच गई है और कोचिंग संस्थानों के बड़े-बड़े विज्ञापन देखकर यह अंदाज लगाया जा सकता है कि मार्केटिंग में कितना पैसा खर्च करने की इस उद्योग की क्षमता है। टेक्नो पैक के मुताबिक, कोटा में तकरीबन 1,50,000 छात्र 100 निजी कोचिंग सेंटरों में दूर-दराज से पढ़ने और रहने आते हैं।

कितना बड़ा है यह उद्योग
इंजीनियरिंग, मेडिकल और मैनेजमेंट प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थानों में करीब 40 लाख छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं और करीब 20,000 शिक्षक उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने में जुटे हैं। निजी कोचिंग सेंटर उद्योग की बात करें तो सिर्फ इंजीनियरिंग परीक्षा की तैयारी का बाजार 20,685 करोड़ रुपए का है। मेडिकल परीक्षा की तैयारी का बाजार 13,790 करोड़ रुपए का है और मैनेजमेंट परीक्षा की तैयारी का बाजार 1,034 करोड़ रुपए का है।

ऑनलाइन कोचिंग सेंटर का भी बढ़ा उद्योग
निजी कोचिंग सेंटर के अलावा इन दिनों ऑनलाइन कोचिंग का भी कारोबार बढ़ रहा है। यहां तक कि छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी कोचिंग सेंटर को ऑनलाइन शिक्षा एग्रीगेटर्स से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जहां इंटरनेट की पहुंच तेजी से बढ़ रही है।

ग्रेड अप नामक एक शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच द्वारा 10,000 छात्रों के बीच कराए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 90 फीसदी छात्रों ने प्रवेश परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन लर्निंग को प्राथमिकता दी। एक और रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में ऑनलाइन लर्निंग को चुनने वाले छात्रों की संख्या 16 लाख थी जो 2021 तक बढ़कर 96 लाख तक पहुंच जाएगी।

यह है कोचिंग उद्योग के फलने-फूलने की वजह
शिक्षा से जुड़े जानकारों का मानना है कि भारतीय स्कूली शिक्षा प्रणाली छात्रों की जरूरतों के लिहाज से पुरानी पड़ गई है और यही कोचिंग उद्योग के उभार का प्रमुख कारण है। एशियन डेवलपमेंट बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के सरकारी स्कूल बहुत से मापदंडों पर पिछड़े हुए हैं।