जीएसटी रजिस्ट्रेशन के साथ आधार लिंक करना होगा जरूरी

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पणजी। जीएसटी काउंसिल की 37वीं बैठक में कई फैसले लिए गए जिनमें होटल और वाहन उद्योग को राहत देने से लेकर कैफीन युक्त पेय पदार्थों पर जीएसटी बढ़ाने तक के कदम शामिल हैं। इस बैठक में जीएसटी के अंतरगत टैक्स देने वाले करदाताओं के रजिस्ट्रेशन को आधार से लिंक करने का भी फैसला किया गया। इसके अलावा रिफंड का दावा करने के लिए 12 डिजिट यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर को अनियवार्य करने पर भी चर्चा हुई।

काउंसिल ने उस सर्कुलर को भी वापस लेने का फैसला किया जिसमें कंपनी द्वारा डीलर को अतिरिक्त छूट देने पर जीएसटी लगाने का फैसला किया गया था। आधिकारिक बयान के मुताबिक काउंसिल आधार लिंक करने का फैसला फर्जीवाड़े और गलत रिफंड से निपटने के लिए किया है।

गोवा में शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई। इसमें रोजगार देने वाले लघु एवं मध्य उद्योगों को जीएसटी रिटर्न फाइल करने में राहत देने का भी फैसला लिया गया।

बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि जीएसटी रिटर्न के प्रॉसेस को आसान करने के लिए अधिकारियों की एक कमिटी गठित की जाएगी। इसके अलावा बैठक में कहा गया कि रिटर्न फाइल करने का नया तरीका अप्रैल 2020 से लागू किया जाएगा ताकि लोगों को इसे अपनाने में दिक्कत न हो।

बाहरी सप्लाइ के टैक्स को समय से फाइल करने के लिए भी नियमों में कुछ बदलाव किया गया। इसके तहत तय समय के बाद इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं मिल पाएगा। इसके अलावा पैनल ने यह भी सुझाव दिया कि सीजीएसटी ऐक्ट, यूटीजीएसटी ऐक्ट में कुछ बदलाव किए जाएं क्योंकि अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो नए केंद्रशासित प्रदेश हो गए हैं।

इस बीच 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने सलाह दी कि जीएसटी के ज्यादा से ज्यादा दो स्लैब होने चाहिए। सूत्रों ने बताया कि काउंसिल 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के स्लैब को एक में करने का फैसला कर सकती है। फाइनैंस कमिशन ने सहमति के आधार पर राज्यों से इलेक्ट्रिसिटी, अल्कोहल और पेट्रोलियम उत्पादों को भी जीएसटी के दायरे में लाने की बात कही।