चिरंजीवी योजना: थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए राहत की जगह आफत बनी

115

कोटा। Mukhyamantri Chiranjeevi Yojana: थैलीसीमिया से जूझ रहे रोगियों व परिजनों के लिए चिरंजीवी योजना राहत की जगह आफत सिद्ध हो रही है। योजना में मरीजों को आ रही समस्या के संबंध में शनिवार को भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ संयोजक एवं जीएमए अध्यक्ष राकेश जैन के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने लोकसभा अध्यक्ष से मिलकर मरीजों की पीड़ा बताई। इस पर स्पीकर बिरला ने मेडिकल कॉलेज प्रधानाचार्य से वार्ता रोगियों के समस्या के समाधान करने के दिशा-निर्देश दिए।

राकेश जैन ने बताया कि सरकार द्वारा ‘चिरंजीवी योजना’ लागू करने से थेलेसेमिक्स को बीपीएल एवं दिव्यांगता के तहत मिलने वाली सुविधाओं से वंचित कर देने से थेलेसिमक्स को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व में थैलेसीमिक मरीजों को डे केयर यूनिट में भर्ती कर ब्लड चढ़ाया जाता था और शाम को वे अपने घरों तक पहुंच जाते थे। वर्तमान में चिरंजीवी योजना में लागू प्रावधानों के तहत मरीज़ों को 24 घंटे भर्ती रहने को मजबूर किया जा रहा है।

एमबीएस हॉस्पिटल में हुई बैठक में प्रतिनिधिमंडल ने सभी डॉक्टरों की उपस्थिति में थैलेसीमिया मरीजों को आ रही परेशानियों से अवगत कराया। थैलेसीमिया सोसाइटी के हरविंदर सिंह एवं नवीन तोतलानी ने बताया कि पहले 18 वर्ष या अधिक के मरीज़ों को जेके लोन अस्पताल में थैलेसिमिया वार्ड में ही ब्लड चढ़ाया जाता था। वर्तमान में 18 वर्ष से अधिक के मरीज़ों को एमबीबीएस में पुरुषों को अलग एवं महिलाओं को अलग वार्ड में भर्ती करते हुए ब्लड चढ़वाने की व्यवस्था कर दी गई है।

इस पर प्रधानाचार्य ने तुरंत एक्शन लेते हुए 18 वर्ष से अधिक उम्र के मरीज़ों को एमबीएस हॉस्पिटल के कमरा नंबर 125 के हीमोफ़िलिया वार्ड में ब्लड चढाने की व्यवस्था करने की सहमति प्रदान की। गौरतलब है कि थैलीसीमिया के प्रोटोकॉल के तहत मरीज़ को 10 ग्राम हीमोग्लोबिन पर रक्त मेटेंन रखा जाता है, चिरंजीव योजना में 7 ग्राम से नीचे या 7 ग्राम हीमोग्लोबिन पर रक्त चढाने को कहा जा रहा है, जिससे रोगियों के जीवन पर संकट बना रहता है।

थैलेसीमिया रोगियों के परिजनों को इलाज में आर्थिक चुनौतियों से जूझना पड़ता है, साथ ही अब ‘चिरंजीवी योजना’ के नाम पर हो रहे छलावे से परिजनों पर दोहरा संकट बढ़ रहा है। प्रतिनिधिमंडल ने मांग रखते हुए कहा कि थैलेसीमिया मरीजों को पूर्व व्यवस्था के अनुसार ही बीपीएल व दिव्यांगता के के तहत जो सुविधाएं मिलती थी उन्हीं को लागू रखा जाए।