कृषि महोत्सव: बिहार की ऋचा ने केले के अपशिष्ठ से बनाया सैनेटरी पेड

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कोटा। दशहरा मैदान में आयोजित दो दिवसीय कृषि महोत्सव के दौरान नारीशक्ति की भी झलक दिखाई दी। यहां महिलाओं ने अपने स्टार्टअप्स में उत्पाद और सेवाएं प्रदर्शित कीं, जिन्हें खासा पसंद किया गया। बिहार की ऋचा वात्सायन केले के अपशिष्ठ से सैनेटरी पेड बनाने का स्टार्ट अप लेकर यहां आई है, जबकि संतोष शर्मा खुद मधु मक्खी पालन कर उनसे निकलने वाला शहद विदेशों में एक्सपोर्ट कर रही है।

मधुमक्खी पालन से खुली आत्मनिर्भरता कर राह
किसान की बेटी गढ़ेपान निवासी संतोष शर्मा के पति के दोस्त हरियाणा में मधुमक्खी पालन का काम करते थे। पहले तो संतोष उनसे खरीद कर शहद को आगे बेचती थीं। लेकिन पिछले तीन साल से उन्होंने खुद मधुमक्खी पालन का काम प्रारंभ कर दिया। आज उनके पास 1200 से अधिक बी.बाॅक्स हैं, जिनकी मदद से वे 31 प्रकार का शहद बना रही हैं। उन्होंने 20 श्रमिकों को रोजगार भी दे रखा है। उनका अधिकांश शहद विदेशों में एक्सपोर्ट हो रहा है।

केले के अपशिष्ठ से बनाया सैनेटरी पेड
सामान्यतः उपयोग में लाए जाने वाले सेनेटरी पेड में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक होता है जो सुरक्षित नहीं है। उपयोग किया सैनेटरी पेड नष्ट होने में 300 से 500 वर्ष लगते हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है। इसी सोच ने पटना की ऋचा वात्सायन को आईआईटी खड़कपुर की मदद से केले के पेड़ के अपशिष्ठ से बना सैनेटरी पेड बनाने को प्रेरित किया। यह स्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल हैं। बिहार में 500 से अधिक महिलाएं वर्तमान में इसका उपयोग कर रही हैं।