कृषि निर्यात नीति का मसौदा तैयार, कैबिनेट की मंजूरी जल्द

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नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक प्रस्तावित नीति कृषि निर्यात के सभी पहलुओं पर केंद्रित होगी। इसमें ढांचे का आधुनिकीकरण, उत्पादों का मानकीकरण, तर्कसंगत नियमन, शोध एवं विकास पर ध्यान देना, उत्पादन और व्यापार के नियम-कायदे तय करने के लिए यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण की तर्ज पर एजेंसी का गठन शामिल है।

एपीएमसी कानून में होगा सुधार
नई कृषि नीति लागू होने के बाद वर्ष 2022 तक भारत से कृषि उत्पादों का निर्यात 6 हजार करोड़ डॉलर होने की उम्मीद है। प्रस्तावित नीति के मसौदे में स्थिर व्यापार नीति व्यवस्था, कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) कानून में सुधार, मंडी शुल्क को तर्कसंगत बनाना और जमीन पट्टे पर देने के नियमों को उदार बनाना शामिल है।

निर्यात प्रतिबंधों से मुक्ति!
प्रस्तावित राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति के तहत यह भी भरोसा दिया जाएगा कि प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद और सभी तरह के जैविक उत्पादों को किसी तरह के निर्यात प्रतिबंध के तहत नहीं लाया जाएगा। इस तरह के प्रतिबंध हैं- न्यूनतम निर्यात मूल्य, निर्यात शुल्क या फिर प्रतिबंध।

घरेलू बाजार में कीमतों और उत्पादन में उतार-चढ़ाव को देखते हुए मौजूदा नियमों का इस्तेमाल महंगाई नियंत्रण में रखने, किसानों को न्यूनम समर्थन मूल्य दिलाने और घरेलू उद्योग को संरक्षण जैसे लघु अवधि के लक्ष्य हासिल करने के लिए किया जाता है।

कृषि निर्यात जोन का प्रस्ताव
नीति के मसौदे के मुताबिक इस तरह के फैसलों से घरेलू बाजार में कीमतें संतुलित तो होती हैं, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत की छवि को आघात पहुंचता है। इसे देखते हुए एक स्थिर और अनुकूल नीति बनाना जरूरी है। इसी उद्देश्य से देशभर में कृषि निर्यात जोन बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने की कवायद होगी।

निर्यात में कृषि का हिस्सा 10 फीसदी
मसौदे में मजबूत गुणवत्ता व्यवस्था और शोध एवं विकास, नई किस्मों और आधुनिक प्रयोगशाला पर भी जोर दिया गया है। फिलहाल देश से कुल निर्यात में कृषि उत्पादों का हिस्सा 10 प्रतिशत है। भारत से मुख्य रूप से चाय, कॉफी, चावल, मोटे अनाज, तंबाकू, मसाले, काजू, ऑयल मील, फल व सब्जियां, समुद्री उत्पाद, मांस, डेयरी और पॉल्ट्री प्रोडक्ट का निर्यात किया जाता है।