किस व्यक्ति का खून चूसना है कैसे चुनती हैं मादा मच्छर, जानिए

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नई दिल्ली। सूरज की तपिश बढ़ने लगी है और दिन में गरमी का अहसास होने लगा है। धीरे-धीरे मच्छर भी भनभनाने लगेंगे। लेकिन क्या कभी सोचा है कि आखिर मच्छर कैसे तय करते हैं कि किसका खून चूसना है। एक बात तो आप जानते ही होंगे कि सिर्फ मादा मच्छर ही खून चूसती हैं, नर मच्छर ऐसा नहीं करते। तो सवाल यह है कि मादा मच्छर कैसे निर्धारित करती हैं कि किस व्यक्ति को अपना शिकार बनाना है? सोचिए, विज्ञान की दुनिया कितनी मजेदार है कि अब शोध में इसका भी पता लगा लिया गया है।

मादा मच्छर का CO2 कनेक्शन
वैज्ञानिकों ने रिसर्च के बाद कहा है कि मादा मच्छर अपने शिकार का पता लगाने के लिए गंध और नजर, दोनों की जरूरत पड़ती है। हम सांस में कार्बन डाइऑक्सइड (CO2) छोड़ते हैं जिसका एक गंध होता है। वैज्ञानिकों की मानें तो मादा मच्छर कार्बन डाइऑक्साइड को सूंघते-सूंघते इंसान के पास पहुंचती हैं और फिर वो अपनी नजर का इस्तेमाल करती हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि मादा मच्छरों में 100 फीट दूर से गंध को सूंघ लेने की क्षमता होती है। हम एक सेकंड में जितनी हवा सांस के जरिए छोड़ते हैं उसमें 5% मात्रा कार्बन डाइऑक्साइड की होती है। इसे सूंघते ही मादा मच्छर इंसान की तरफ तेजी से उड़ती हैं।

एक रिसर्च में यह भी पता चला है कि अगर चक्कर काटती चीजों की तरफ भी मच्छर ज्यादा आकर्षित होती हैं, लेकिन कार्बन डाइऑक्साइड के मुकाबले कम। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि मादा मच्छर हमें इसलिए ढूंढ लेती हैं क्योंकि वो इंसानी गंध के विभिन्न अवयवों को पहचानने में सक्षम होती हैं। मच्छर इन गंधों के सहारे जब हमारे निकट आती हैं तो फिर उन्हें हमारे शरीर की गर्मी से हमारे ठिकाने का पता चल जाता है।

बच सकते हैं मच्छरों से हम
रिसर्च के कारण मच्छरों को हमसे दूर रखने का रास्ता भी समझ आ गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर मादा मच्छरों में सूंघने की क्षमता खत्म कर दी जाए तो हम मच्छरों के काटने से बच सकते हैं। तब हम मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों, मसलन मलेरिया, जीका वायरस और डेंगू आदि से भी बच जाएंगे। हालांकि, मादा मच्छर केवल सूंघने की क्षमता के कारण ही हमारी पहचान नहीं करते, इसलिए पहचान की उनकी अन्य क्षमताओं पर भी प्रहार करके ही उनका शिकार होने से बचा जा सकता है।