कच्चे तेल के दाम 30% घटे, तो पेट्रोल 10% ही सस्ता क्यों, जानिए

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नई दिल्ली। कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में जितनी गिरावट आ रही है, उतनी कमी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में नहीं हो रही। ऐसे में आम उपभोक्ता इस सोच में पड़ गया है कि जब चार वर्ष पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों का निर्धारण बाजार के हवाले कर दिया गया और इसके मुताबिक जब कच्चा तेल महंगा होने पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा दी जाती हैं तो अब कच्चा तेल जितना सस्ता हो रहा है, उसी तुलना में पेट्रोल-डीजल के दाम क्यों नहीं घट रहे। आइए जानतें हैं –

क्या है मामला :क्रूड ऑइल की कीमतें 3 अक्टूबर को 86.70 डॉलर प्रति बैरल के सर्वोच्च स्तर के मुकाबले अभी 30 प्रतिशत घटकर प्रति बैरल 60 डॉलर से भी नीचे आ गई हैं। हालांकि, इस दौरान देश में डीजल और पेट्रोल की कीमतों में महज 7 से 11 प्रतिशत की कटौती हुई है।

कैसे तय होती हैं कीमतें:तेल कंपनियां डीजल-पेट्रोल के गेट प्राइसेज तय करती हैं। ये वे कीमतें होती हैं जो तेल रिफाइनरीज पेट्रोल-डीजल के रिटेलर्स से वसूलती हैं। गेट प्राइसेज संबंधित पक्ष (15 दिन) में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों, इस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत, कच्चे तेल की ढुलाई, इसके इंश्योरेंस और अन्य खर्चों को ध्यान में रखते हुए तय किए जाते हैं।

इनमें केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स और डीलरों के कमीशन मिलाकर जो कीमतें बनती हैं, उन्हीं कीमतों पर पेट्रोल-डीजल उपभोक्ताओं को प्राप्त होते हैं। ये कीमतें प्रतिदिन तय होती हैं।

क्यों नहीं मिलता पूरा फायदा :उपभोक्ताओं को कच्चे तेल में गिरावट का आंशिक लाभ ही इसलिए मिल पाता है क्योंकि देश की तेल कंपनियां कच्चे तेल की पिछले 15 दिनों की औसत अंतरराष्ट्रीय दरों के आधार पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करती हैं।

इसलिए, हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई बड़ी गिरावट का फायदा आने वाले कुछ दिनों में मिलेगा। हालांकि, कच्चे तेल के मुकाबले पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम घटने का एक कारण यह भी है कि कच्चे तेल में बड़ी गिरावट के वक्त तेल कंपनियां अपना मुनाफा बढ़ा देती हैं।

मुनाफे में वृद्धि  : 8 अक्टूबर से 9 नवंबर के बीच गेट प्राइसेज 10 प्रतिशत घटे, लेकिन तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों के आधार पर तय हुई बेंचमार्क प्राइस और रुपये का विनिमय मूल्य 22 प्रतिशत घटा है। यानी, इस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 22 प्रतिशत मजबूत हुआ।

गौरतलब है कि डीलरों को जिन कीमतों पर डीजल मिलता है, उसमें सिर्फ 4.5 प्रतिशत की ही कटौती की गई जबकि बेंचमार्क रेट 11.5 प्रतिशत गिर गया। इसका मतलब है कि ऑइल कंपनियों का मुनाफा प्रति लीटर पेट्रोल के लिहाज से बढ़कर 4.98 रुपये जबकि प्रति लीटर डीजल पर बढ़कर 3.03 रुपये हो गया है।