इनपुट टैक्स क्रेडिट का फर्जी लेनदेन से लाभ उठाने वाली 1000 कंपनियों का भड़ाफोड़

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नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) अ​धिकारियों ने करीब 1,000 संदिग्ध फर्मों और उनके लाभार्थियों की सूची बनाई है। उन पर मुखौटा कंपनी बनाकर फर्जी लेनदेन करने और वस्तु एवं सेवाओं का लेनदेन किए बगैर ही इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ उठाने का आरोप है।

मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अ​धिकारी ने कहा कि पहचानी गई ऐसी कुछ फर्मों के कुल कारोबार में वित्त वर्ष 2021, वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 के दौरान भारी उछाल देखकर संदेह होता है। इसलिए उनकी व्यापक जांच आवश्यक है।

यह कदम केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के 2 महीने के विशेष अभियान का हिस्सा है। अभियान 16 मई से शुरू हो रहा है, जिसके तहत फर्जी जीएसटी पंजीकरण के जरिये किए गए गलत आईटीसी दावों की पहचान की जाएगी। यह अभियान सभी केंद्रीय और राज्य कर प्रशासन चलाएंगे तथा यह 15 जुलाई तक जारी रहेगा।

अ​धिकारी ने कहा कि CBIC के डेटा एनालिटिक्स के साथ आयकर विभाग और खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी एवं डेटा के आधार पर संदिग्ध फर्मों की सूची तैयार की गई है। सत्यापन अभियान शुरू करने और बाद में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए संबंधित राज्य/ केंद्रीय कर प्रशासन के साथ पहचाने गए संदिग्ध जीएसटीआईएन को साझा किया जा रहा है।

अधिकारी ने बताया कि संदिग्ध कारोबारियों और व्यापारियों की पहचान करने के लिए आयकर विभाग और जीएसटी पंजीकरण के आंकड़ों के साथ कारोबारियों द्वारा दा​खिल कॉरपोरेट कर रिटर्न सहित विभिन्न जोखिम मापदंडों का विश्लेषण किया गया है। फिलहाल देश में जीएसटी के तहत 1.39 करोड़ करदाता पंजीकृत हैं।

राज्य और केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों की 24 अप्रैल को आयोजित राष्ट्रीय समन्वय बैठक में जीएसटी के नकली/ फर्जी पंजीकरण के लिए अन्य व्यक्तियों की पहचान का दुरुपयोग करने वाले बेईमान लोगों के मुद्दे पर चर्चा हुई थी।

अगर व्यापक सत्यापन के बाद पाया जाता है कि करदाता असली नहीं बल्कि काल्पनिक है तो कर अधिकारी तुरंत जीएसटी पंजीकरण रद्द करने की कार्रवाई शुरू कर सकते हैं। साथ ही अंतिम लाभार्थी की परिसंपत्तियों को CGST अधिनियम की वसूली प्रक्रिया के तहत जब्त किया जा सकता है।

अधिकारी ने कहा कि विभाग का उद्देश्य GST व्यवस्था से फर्जी अथवा जाली बिल बनाने वालों पर अंकुश लगाना और सरकारी राजस्व के नुकसान को बचाना है। सरकार ने फर्जी एवं संदिग्ध आयकर क्रेडिट दावों की पहचान करने के लिए 9 नवंबर 2020 को ऐसा ही एक देशव्यापी विशेष अ​​भियान चलाया था।

उसके बाद करीब 60,000 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का पता चला था और 700 से अ​धिक लोग गिरफ्तार हुए थे। उस दौरान गलत तरीके से लाभ हासिल करने के लिए 22,000 से अ​धिक फर्जी जीएसटी पंजीकरण का उपयोग किया जा रहा था।