आलाकमान नहीं चाहता राजस्थान में सियासी संकट, गहलोत सीएम बने रहेंगे

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जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही राजस्थान के सीएम बने रहेंगे। हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव प्रमुख वजह बताई जा रही है। सीएम गहलोत को गुजरात चुनाव में विशेष पर्यवेक्षक बनाया गया है। आलाकमान नहीं चाहता है कि इस दौरान राजस्थान में सियासी संकट बने। मल्लिकार्जुन खरके के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद भी सीएम अशोक गहलोत के हाव-भाव जीत के संकेत दे रहे हैं।

जानकार कह रहे है कि राजस्थान में 90 विधायकों की ओर से इस्तीफा दिए जाने के बाद भी पार्टी आलाकमान ने कोई बड़ा फैसला नहीं लिया है। बीजेपी की ओर से स्पीकर सीपी जोशी से इस्तीफा मंजूर करने के आग्रह भी स्वीकारा नहीं गया है। इधर सीएम गहलोत दिल्ली से लौटने के बाद चुनावों को ध्यान में रखकर धड़ाधड़ फैसले ले रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान से हरी झंड़ी मिलने के बाद ही गहलोत की हर मीटिंग में आत्मविश्वास दिखाई दे रहा है।

राजस्थान में चल रहे सियासी संकट को एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है। इसी बीच एक बार फिर राजस्थान में अशोक गहलोत सचिन पायलट के बीच चल रही जंग तेज होने के आसार जताए जा रहे हैं। चूंकि बुधवार को मल्लिकाअर्जुन खरगे ने कांग्रेस अध्यक्ष पदभार ग्रहण कर लिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि राजस्थान के सीएम पद को लेकर चल रही सियासत को शांत करने के लिए कांग्रेस जल्द फैसला लेगी।

मीडिया रिपोटर्स के अनुसार 26 अक्टूबर यानी आज मल्लिकाअर्जुन खरगे के पदभार ग्रहण समारोह में सीएम गहलोत प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और कैबिनेट मंत्री लालचंद कटारिया के साथ विशेष विमान से दिल्ली पहुंचे हैं। वहीं उनके दूसरे कैंप ने दूसरे नेता और कई कैबिनेट मंत्री अलग-अलग फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे हैं। वहीं सचिन पायलट भी इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे हैं।

राजनीति के जानकारों का कहना है कि सीएम गहलोत प्रदेशाध्यक्ष गोविंगद सिंह डोटासरा के साथ दिल्ली पहुंचे हैं। गहलोत के अपनी टीम के साथ दिल्ली पहुंचने की बड़ी वजह बताई जा रही है। जानकारों का कहना है कि सीएम गहलोत कांग्रेस आलाकमान और नए अध्यक्ष यह बताने में जुटे हैं कि राजस्थान में वो अपनी टीम के साथ काफी मजबूत हैं। राजस्थान के ज्यादातर कांग्रेसी नेता अशोक गहलोत को भी अपना नेता मानते हैं। वहीं उनकी टीम ही पार्टी की बड़ी विश्वासपात्र हैं।