अनुचित कमाई के लिए भारतीय रेलवे पर राजस्थान हाईकोर्ट में मुकदमा

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कोटा। भारतीय रेल पर अनुचित तरीके से कमाई करने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय में एक मुकदमा दाखिल हुआ है। यह मुकदमा कोटा के सुजीत स्वामी ने किया है। उन्होंने उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में आरोप लगाया है कि भारतीय रेल की रिजर्वेशन नीति भेदभाव पूर्ण है। भारतीय रेल ऑनलाइन व काउंटर रिजर्वेशन में अलग-अलग नीति अपनाती है।

इससे यात्रियों का खर्च बढ़ता है और उसे मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि रेलवे को की इस प्रथा को बंद किया जाना चाहिए और रेलवे की अनुचित कमाई को बंद किया जाना चाहिए। सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत एक्टिविस्ट सुजीत स्वामी ने कुछ सवाल पूछे थे, जिनके जवाब में सेंटर फॉर रेलवे इनफार्मेशन सिस्टम (क्रिस) ने यह जानकारी दी थी।

टिकट कैंसिलेशन व वेटलिस्टेड टिकटों से 9,000 करोड़ की कमाई
एक्टिविस्ट ने भारतीय रेल से आरटीआई के तहत सवाल पूछा था। सवाल के जवाब में भारतीय रेल ने कहा कि उसने टिकट कैंसिलेशन शुल्क और वेटलिस्टेड टिकटों के नॉन कैंसिलेशन से 2017 और 2020 के बीच9,000 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की है। सेंटर फॉर रेलवे इन्फोर्मेशन सिस्टम्स (सीआरआईएस) ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में यह बात कही।

4,335 करोड़ रुपए की कमाई वेटलिस्टेड टिकटों से
सीआरआईएस ने कहा कि रेलवे को यह कमाई एक जनवरी 2017 से 31 जनवरी 2020 तक की अवधि में हुई। इस दौरान 9.5 करोड़ से अधिक यात्री ऐसे थे, जिन्होंने अपने वेटलिस्टेड टिकट कैंसल नहीं कराए। वेस्टलिस्टेड टिकट को कैंसल नहीं कराने वाले यात्रियों से रेलवे को इस अवधि में 4,335 करोड़ रुपए की कमाई हुई।

कैंसिलेशन शुल्क से 4,684 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई
इसी अवधि में रेलवे ने कन्फर्म्ड टिकटों के कैंसिलेशन शुल्क से 4,684 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत दिए गए जवाब के मुताबिक इन दोनों ही सेगमेंट में सर्वाधिक कमाई स्लीपर क्लास के टिकटों से हुई। इसके बाद सर्वाधिक कमाई थर्ड एसी टिकटों से हुई।

दो तिहाई टिकट बुकिंग ऑनलाइन माध्यम से
रेलवे की दो-तिहाई टिकटों की बुकिंग ऑनलाइन माध्यम से होती है। तीन साल की आलोच्य अवधि में 145 करोड़ से अधिक यात्रियों ने इंटरनेट से टिकट कटाए, जबकि 74 करोड़ से अधिक लोग रेलवे के काउंटर पर गए।