स्वास्थ्य, समृद्धि, शांति के लिए भारत आएं, मोदी ने दुनिया से कहा

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    दावोस। वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के उद्घाटन भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने दुनिया की चुनौतियों को गिनाया तो इनसे निपटने के लिए कई उपाय भी सुझाए। क्लाइमेंट चेंज, आतंकवाद और संरक्षणवाद को दुनिया के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौतियां बताते हुए पीएम ने नाम लिए बिना दुनिया की बड़ी ताकतों को आईना दिखाया।

    उन्होंने अच्छे और बुरे आतंकवाद को लेकर अमेरिका और पश्चिमी देशों को घेरा तो संरक्षणवाद को लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने यह कहकर चीन को भी लपेटा कि भारत किसी दूसरे देश की भूमि पर नजर नहीं रखता है। पीएम ने दुनिया की दरारों और दूरियों को पाटने के लिए शास्त्रों, उपनिषद, गौतम बुद्ध, राष्ट्रपिता गांधी के विचारों का उदाहरण दिया।

    उन्होंने दुनिया को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, ‘अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति के लिए भारत आएं। अनिश्चितता और तीव्र परिवर्तनों के इस दौर में एक भरोसेमंद, टिकाऊ, पारदर्शी और प्रगतिशील भारत एक अच्छी खबर है।’

    ‘2 दशक में बदली दुनिया’
    पीएम ने 1997 में पूर्व पीएम एचडी. देवेगौड़ा की दावोस यात्रा को याद करते हुए कहा, ‘उस साल भारत की जीडीपी 400 बिलियन डॉलर से कुछ अधिक थी अब दो दशक बाद यह छह गुना हो चुका है। उस वर्ष इस फोरम का विषय था ‘बिल्डिंग द नेटवर्क सोसायटी’।

    आज 21 साल बाद 1997 वाला विषय सदियों पुराना लगता है। आज हम सिर्फ नेटवर्क सोसायटी नहीं, बिग डेटा आर्टिफिशल इंटेलिजेंस वाली सोसासटी में हैं। तब यूरो मुद्रा नहीं थी, ना ही ब्रेग्जिट के आसार थे। तब बहुत कम लोगों ने ओसामा बिन लादेन का नाम सुना था और हैरी पॉर्टर को लोग नहीं जानते थे।

    तब यदि आप साइबर दुनिया में ऐमजॉन शब्द सर्च करते तो आपको नदियों और जंगलों के बारे में जानकारी मिलती। तब ट्वीट चिड़ियों का काम था मनुष्य का नहीं। वह पिछली शताब्दी थी। उस जमाने में भी दावोस अपने समय में आगे था और वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम का परिचायक था आज भी दावोस समय से आगे है।’

    पीएम ने कहा, ‘इस वर्ष फोरम का विषय है- creating a share future in a fractured world यानी दरारों से भरे विश्व में साझा भविष्य का निर्माण। नए-नए बदलावों से नई-नई शक्तियों से आर्थिक क्षमता और राजनीतिक शक्ति का संतुलन बदल रहा है। इससे विश्व के स्वरूप में दूरगामी परिवर्तनों की छवि दिखाई दे रहरी है। विश्व के सामने शांति-स्थिरता और सुरक्षा को लेकर नई और गंभीर चुनौतियां हैं।’

    ‘डेटा ही सबसे बड़ी संपदा’
    मोदी ने कहा, ‘तकनीक आधारित बदलाव से हमारे रहने, काम करने व्यवहार बातचीत और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय समूहों और राजनीति और अर्थव्यवस्था तक को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं। तकनीक के जोड़ने, मोड़ने और तोड़ने तीनों आयामों का एक बड़ा उदाहरण सोशल मीडिया के प्रयोग में देखने को मिलता है। आज डेटा सबसे बड़ी संपदा है। डेटा के ग्लोबल फ्लो से सबसे बड़े अवसर बन रहे हैं और सबसे बड़ी चुनौतियां भी।’

    ‘दर्द भरी चोट पहुंचा सकती हैं दरारें’
    पीएम ने कहा,’विज्ञान, तकनीक और आर्थिक प्रगति के नए आयामों में एक ओर तो मानव की समृद्धि के नए रास्ते दिखाने की क्षमता है। वहीं दूसरी ओर इन परिवर्तनों से ऐसी दरारें भी पैदा हुई हैं जो दर्द भरी चोट पहुंचा सकती हैं। बहुत से बदलाव ऐसी दीवारें खड़ी कर रहे हैं जिन्होंने पूरी मानवता के लिए शांति और समृद्धि के रास्ते को दुर्गम ही नहीं दु:साध्य बना दिया है। ये दरारें, बंटवारा और बाधक विकास के अभाव की हैं, गरीबी की हैं, बेरोजगारी की हैं।’

    ‘भारत ने हजारों साल पहले कहा-पूरी दुनिया परिवार’
    मोदी ने कहा, ‘भारत, भारतीयता और भारतीय विरासत का प्रतिनिधि होने के नाते मेरे लिए इस फोरम का विषय जितना समकालीन है उतना ही समयातीत भी है। समयातीत इसलिए क्योंकि भारत में अनादिकाल से हम मानव मात्र को जोड़ने में विश्वास करते आए हैं, उसे तोड़ने में नहीं उसे बांटने में नहीं।

    हजारों साल पहले संस्कृत भाषा में लिखे गए ग्रंथों में भारतीय चिंतकों ने कहा, ‘वसुधैवकुटुम्बकम्’। यानी पूरी दुनिया एक परिवार है। यह धारणा निश्चित तौर पर आज दरारों और दूरियों को मिटाने के लिए ज्यादा सार्थक है।’

    ‘क्लाइमेंट चेंज सबसे बड़ी चुनौती
    पीएम ने क्लाइमेंट चेंज को दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा, ‘मैं दुनिया की सिर्फ तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र करूंगा जो मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़े खतरे पैदा कर रही हैं। पहला खतरा है क्लाइमेंट चेंज का। ग्लेशियर पीछे हटते जा रहे हैं। आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है। बहुत से द्वीप डूब रहे हैं या डूबने वाले हैं। ब

    हुत गर्मी और बहुत ठंड, बेहद बारिश और बाढ़ या बहुत सूखा। अतिवादी मौसम का प्रभाव दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। हर कोई कहता है कि कार्बन उत्सर्जन को कम करना चाहिए। लेकिन ऐसे कितने देश या लोग हैं जो विकासशील देशों और समाजों को उपयुक्त तकनीक उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराने में मदद करना चाहते हैं।’

    ‘भारतीय शास्त्रों की सीख’
    पीएम ने कहा, ‘हजारों साल पहले भारत में लिखे गए प्रमुख उपनिषद ‘इशोपनिषद की शुरुआत में तत्वद्रष्ट्रागुरु ने अपने शिष्यों से परिवर्तनशील जगत के बारे में कहा- तेनत्यक्तेनभुन्जीथा यानी संसार में रहते हुए उसका त्यागपूर्वक भोग करो। ढाई हजार साल पहले भगवान बुद्ध ने अपरिग्रह यानी आवश्यकता के अनुसार इस्तेमाल को अपने सिद्धांतों में प्रमुख स्थान दिया।

    भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का टस्ट्रीशिप का सिद्धांत भी आवश्यकता यानी नीड के अनुसार उपयोग और उपभोग करने के पक्ष में था। लालच पर आधारित शोषण का उन्होंने सीधा विरोध किया। भारतीय परंपरा में प्रकृति के साथ गहरे तालमेल के बारे में। हजारों साल पहले शास्त्रों में मनुष्यमात्र को बताया गया कि हम सब मानव पृथ्वी की संतान हैं।’

    ‘आत्मकेंद्रित हो रहे हैं कुछ देश’
    पीएम नरेंद्र मोदी ने संरक्षणवाद पर निशान साधते हुए कहा, ‘तीसरी चुनौती मैं यह देखता हूं कि बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि ग्लोबलाइजेशन अपने नाम के विपरीत सिकुड़ रहा है। इस प्रकार की मनोवृत्तियों और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाम को क्लाइमेट चेंज या आतंकवाद के खतरे से कम नहीं आंका जा सकता।

    हालांकि हर कोई इंटरकनेक्टेड विश्व की बात करता है, लेकिन ग्लोबलाइजेशन की चमक कम हो रही है। ग्लोबलाइजेशन के विपरीत संरक्षणवाद की ताकतें सिर उठा रही हैं। इसका परिणाम है कि नए-नए प्रकार के टैरिफ और नॉन टैरिफ बैरियर देखने को मिलते हैं। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौते रुक गए हैं।’

    ‘आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक-अच्छे-बुरे आतंकवाद का फर्क
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को दूसरा सबसे बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि आतंकवाद जितना खतरनाक है उससे भी ज्यादा खतरनाक है अच्छे और बुरे आतंकवाद का फर्क पैदा करना। उन्होंने कहा कि यह भी काफी दुखद है कि पढ़े-लिखे और संपन्न युवा भी चरमपंथ की ओर जा रहे हैं। 

    ‘सबका साथ सबका विकास’
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय लोकतंत्र की विशेषताओं और अनेकता में एकता जिक्र करते हुए कहा, ’30 साल बाद भारत में किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला। हमने किसी एक वर्ग या कुछ लोगों के सीमित विकास का नहीं बल्कि सबके विकास का संकल्प लिया। मेरी सरकार का मोटो है- सबका साथ-सबका विकास।’

    पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में किए जा रहे आर्थिक सुधारों को भी दुनिया के सामने रखा और कहा, ‘आज हम भारत की अर्थव्यवस्था को जिस तरह से निवेश के लिए सुगम बना रहे हैं उसका कोई सानी नहीं है। इसी का नतीजा है कि भारत में निवेश, काम करना, मैन्युफैक्चरिंग पहले से बहुत आसान हो गया है।’ उन्होंने जीएसटी का और तकनीक के इस्तेमाल की चर्चा की।

    ‘दुनिया की बड़ी ताकतों में हो सहयोग’
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विश्व की बड़ी ताकतों के बीच सहयोग और संबंध की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘साझा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए हमें अपने मतभेदों को दरकिनार करके एक व्यापक दृष्टि बनानी होगी। दूसरी आवश्यकता है कि नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का पालन करना पहले से भी ज्यादा जरूरी हो गया है।’

    ‘शांति के लिए भारत का योगदान सबसे बड़ा’
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की शांति में भारत के योगदान पर रोशनी डाली और कहा, ‘पिछली शताब्दी में जब विश्व दो विश्वयुद्धों के संकटों से गुजरा तब अपना कोई निजी स्वार्थ न होते हुए भी भारत शांति और मानवती के उच्च आदर्शों की सुरक्षा के लिए खड़ा हुआ।

    डेढ़ लाख से भी अधिक भारतीय सैनिकों ने अपनी जान दी। ये वही आदर्श हैं जिनके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के बाद से भारत ने यूएन पीस कीपिंग ऑपरेशंस में सैनिकों का सबसे बड़ी संख्या में योगदान किया है।’

    दुनिया को न्योता
    पीएम ने कहा कि भारत हमेशा दुनिया में शांति के लिए काम करता रहेगा। उन्होंने कहा, ‘हम मिलकर एक ऐसी दुनिया बनाएं जहां सामंजस्य एवं सहयोग के लिए काम हो। वेल्थ के साथ वेलनेस चाहते हैं तो भारत आएं। हेल्थ के साथ समग्रता चाहते हैं तो भारत आएं। समृद्धि के साथ शांति चाहते हैं तो भारत आएं।’