UPI ट्रांजैक्शन की दौड़ में गूगल पे फिर अव्वल

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बेंगलुरु। टेक्नोलॉजी दिग्गज गूगल की पेमेंट्स सर्विस गूगल पे ने मई में भी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) में अपनी बढ़त बरकरार रखी है। पिछले महीने गूगल पे के प्लेटफॉर्म पर 24 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन हुए। फ्लिपकार्ट की फोनपे करीब 23 करोड़ और डिजिटल पेमेंट्स की दिग्गज पेटीएम 20 करोड़ यूपीआई ट्रांजैक्शन के साथ क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर रहीं। इन तीनों एप्लिकेशन के साथ भारत इंटरफेस फॉर मनी (भीम) का कुलमिलाकर 93 पर्सेंट से ज्यादा यूपीआई मार्केट पर कब्जा है।

पिछले हफ्ते की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीआई से होने वाले ट्रांजैक्शन में महीना-दर-महीना 6 पर्सेंट की गिरावट आई है। यह रिपोर्ट नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) जारी करता है, जो पेमेंट कंपनियों की देखरेख करता है। अप्रैल में कुल 73.35 करोड़ यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए थे, जबकि मई में यह आंकड़ा गिरकर 78.1 करोड़ पर आ गया था। हालांकि, एनपीसीआई टोटल ट्रांजैक्शन का डेटा जारी करती है। वह डेटा को कंपनियों के हिसाब से अलग-अलग नहीं दिखाती है।

हालांकि, टॉप नॉन-बैंकिंग पेमेंट एप्लिकेशंस के बीच सरकारी पेमेंट ऐप भीम पर सिर्फ 1.57 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए। यह ऐप पिछले कुछ महीने से लगातार अपना मार्केट शेयर गंवा रहा है क्योंकि अन्य टेक कंपनियां प्रमोशन और कैशबैक के जरिए ग्राहकों को अपनी ओर खींच रही हैं। भीम के पास मई 2017 में 47 पर्सेंट मार्केट शेयर था, जो पिछले साल मई में घटकर 7 पर्सेंट पर आ गया था। इस साल मई में उसका मार्केट शेयर सिमटकर 2 पर्सेंट रह गया।

यूपीआई ट्रांजैक्शन में 2017 के आखिर से तेजी आनी शुरू हुई थी। इस पेमेंट मोड को लोकप्रिय बनाने में गूगल, पेटीएम और फोनपे जैसी टेक कंपनियों ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अगर ट्रांजैक्शन की वैल्यू के लिहाज से देखें तो गूगल पे के जरिए 55,000 करोड़ रुपये ज्यादा का लेनदेन किया गया। इसके बाद फोनपे पर 44,000 करोड़ और पेटीएम पर 38,200 करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ।

प्राइवेट सेक्टर बैंक के एक सीनियर बैंकर ने बताया, ‘यूपीआई ट्रांजैक्शन में कमी आने के दो महत्वपूर्ण कारण हैं। पहला तो कंपनियों ने कैशबैक देना कम किया है। वहीं, दूसरी वजह ज्यादा अहम है। कुछ बैंकों में तकनीकी दिक्कतों की वजह से ट्रांजैक्शन फेल हो जाते हैं। फिर यूजर को अपनी रकम वापस पाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं। इससे लोग यूपीआई के जरिए ट्रांजैक्शन करने से कतराने लगे हैं।’