RBI मॉनिटरी पॉलिसी की मीटिंग 6 दिसंबर से, रेपो रेट में नहीं होगा बदलाव

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नई दिल्ली। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रेट को जस का तस रख सकता है। सेंट्रल बैंक देखो और इंतजार करो की रणनीति अपना सकता है। उसने इसी तरह का रवैया कोरोना को दौरान अपनाया था।

देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष कहते हैं कि RBI दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा। अगले हफ्ते 6 से 8 दिसंबर तक इसकी मॉनिटरी पॉलिसी की मीटिंग होगी। इसमें दरों पर फैसला किया जाएगा। हालांकि कोरोना के बाद स्थितियां संभल रही थीं और धीरे-धीरे उन सभी उपायों को वापस लिया जा रहा था, जो पहले शुरू किए गए थे।

अब फिर से ओमिक्रॉन ने अलर्ट पर ला दिया है। भारत के मामले में कहें तो इसके लिए अच्छा यह है कि तकरीबन 125 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुका है। ऐसे में भारत भविष्य में अच्छी तैयारी इस बीमारी से निपटने के लिए कर सकता है। घोष कहते हैं कि हमारा मानना ​​​​है कि MPC बैठक में रिवर्स रेपो दर में बढ़ोतरी की बातचीत समय से पहले हो सकती है, क्योंकि RBI मोटे तौर पर दरों में बढ़ोतरी और बाजार के शोर-शराबे के बिना अब तक मामले को संभालने में सक्षम रहा है।

2016 के संशोधित RBI एक्ट की धारा 45Z (3) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) महंगाई के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक पॉलिसी रेट निर्धारित करेगी। RBI केवल MPC में रिवर्स रेपो रेट पर कार्य करने के लिए बाध्य नहीं है।

घोष ने कहा कि हमारा मानना ​​है कि महामारी के बाद से, RBI ने संतुलनकारी कार्य किया है। हमें याद रखना होगा कि महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। उधर, अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक ने बांड टेपरिंग कार्यक्रम में तेजी लाने का संकेत दिया है। इससे यह अनुमान से पहले समाप्त हो गया है। रेट्स में बढ़ोतरी भी जल्द हो सकती है। जब तक ओमिक्रॉन, डेल्टा की तुलना में अधिक घातक साबित नहीं होता, यह बदले में डॉलर के मजबूत होने और रुपए के मूल्य में कमी के दबाव का संकेत देगा।

रेपो रेट नहीं बदलेगा
हालांकि कोटक महिंद्रा असेट मैनेजमेंट की मुख्य निवेश अधिकारी लक्ष्मी अय्यर कहती हैं कि हमें उम्मीद है कि रिजर्व बैंक 15-20 bps यानी 0.15-0.20% की बढ़त रिवर्स रेपो में कर सकता है। बैंक रिवर्स रेपो और रेपो रेट के अंतर को कम करने की कोशिश करेगा। हालांकि रेपो रेट को जस का तस ही रखा जाएगा, क्योंकि ओमिक्रॉन का असर इस समय तेजी से दुनिया भर में दिख रहा है।