RBI ने नहीं बदली रीपो रेट, GDP पर 7.4% का अनुमान

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मुंबई।रिजर्व बैंंक ने अपेक्षा के मुताबिक रीपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने तीन दिवसीय समीक्षा बैठक में रीपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ की दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है।

वहीं, चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) के दौरान मंहगाई दर 2.7 से 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। इस वर्ष की 5वीं मौद्रिक समीक्षा के बाद एमपीसी ने रिवर्स रीपो रेट और बैंक रेट भी क्रमशः 6.25 प्रतिशत और 6.75 प्रतिशत पर कायम रखा।

7.4% रहेगी जीडीपी वृद्धि की रफ्तार
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने चालू वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। इसने दूसरी छमाही में जीडीपी ग्रोथ की दर 7.2 से 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। वहीं, अगले वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2019) में यह 0.1 प्रतिशत की मामूली वृद्धि के साथ 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, कमिटी ने इसमें गिरावट की भी आशंका जताई।

मंहगाई काबू में, लेकिन खतरा बरकरार
3 से 5 दिसंबर तक चली समीक्षा बैठक के बाद समिति ने कहा कि महंगाई में गिरावट का अनुमान जताया गया है और अक्टूबर की मौद्रिक समीक्षा बैठक में जिन जोखिमों का जिक्र किया गया था, उनमें कुछ का अंदेशा टल गया है, खासकर कच्चे तेल की कीमतें घट चुकी हैं। लेकिन, कुछ अनिश्चितताओं की वजह से महंगाई को लेकर खतरा बना हुआ है।

मंहगाई बढ़ने की आशंका के कारण

  1. अभी कुछ खाद्य वस्तुओं की कीमतें असामान्य रूप से निचले स्तर पर हैं जिनमें अचानक उछाल आने की आशंका है। ऐसा खासकर जल्द बर्बाद होने वाली खाद्य वस्तुओं की कीमतों के साथ हो सकता है।
  2. उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक, जुलाई में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने के ऐलान का महंगाई पर अब तक कुछ खास असर देखने को नहीं मिला, लेकिन आगे इसका असर दिखने की आशंका कायम है।
  3. कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बड़ी गिरावट आई तो है, लेकिन वैश्विक स्तर पर इसकी मांग, भू-राजनैतिक तनावों एवं तेल आपूर्ति को लेकर ओपेक के आगामी फैसले के मद्देनजर अनिश्चितता का माहौल है।
  4. वैश्विक वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल अब भी जारी है।
  5. केंद्र अथवा राज्यों के स्तर पर वित्तीय लक्ष्यों से भटकाव की स्थिति में महंगाई का माहौल बनेगा, बाजार में उथल-पुथल बढ़ेगी और निजी निवेश का माहौल खराब होगा।
  6. राज्य सरकारों के कर्मचारियों को एचआरए बढ़ाए जाने से प्रमुख महंगाई में वृद्धि की गुंजाइश बनेगी।

डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए ऑम्बड्समैन
इसके अलावा, आरबीआई की एमपीसी ने डिजिटल ट्रांजैक्शन के रफ्तार पकड़ने के मद्देनजर डिजिटल ट्रांजैक्शन की निगहबानी के लिए एक कानूनी संस्था बनाने का फैसला किया। कमिटी ने कहा कि जनवरी के आखिर में इसका नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा।

5-7 फरवरी को अगली बैठक
पिछली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में भी आरबीआई ने रीपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था। केंद्रीय बैंक ने तब चेतावनी देते हुए कहा था कि तेल के दाम में उतार-चढ़ाव तथा वैश्विक वित्तीय स्थिति कड़ी होने से वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के सामने अधिक जोखिम है। बहरहाल, मौद्रिक नीति समीक्षा के लिए अगली और छठी बैठक 5 से 7 फरवरी तक चलेगी।

रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें

  1. नीतिगत ब्याज दर (रेपो) को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। 
  2. रिवर्स रेपो दर 6.25 पर कायम।
  3. बैंक दर 6.75 पर स्थिर।
  4. मुद्रास्फीति अक्तूबर-मार्च (2018-19) के दौरान 2.7 से 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान।
  5. वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल-सितंबर की पहली छमाही के दौरान वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान। इसमें गिरावट भी आ सकती है।
  6. घरेलू वृहद आर्थिक बुनियाद को मजबूत करने का उपयुक्त समय।
  7. निजी निवेश के लिये गुंजाइश और कोष की उपलब्धता को लेकर राजकोषीय अनुशासन महत्वपूर्ण।
  8. रबी फसलों की कम बुवाई से कृषि, ग्रामीण मांग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका।
  9. वित्तीय बाजार उतार-चढ़ाव, कमजोर वैश्विक मांग और व्यापार तनाव बढ़ने से निर्यात के लिये जोखिम।
  10. कच्चे तेल के दाम में गिरावट से वृद्धि संभावना को मजबूती मिलने की उम्मीद।
  11. वैश्विक वित्तीय स्थिति तंग होने के बाद भी कर्ज उठाव मजबूत।