Lok Sabha Election 2024: कोटा के लोकसभा चुनाव में भाजपा की बी-टीम सक्रिय

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कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र में कड़े चुनावी मुकाबले के कारण अब भारतीय जनता पार्टी की वह बी-टीम सक्रिय कर दी गई, जिसे अब तक स्टैंडबाई पर रख छोड़ा था, जिनमें ऎसे ही किसी संकटकालीन मौके की आशंका में खड़े किए गए डमी निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं जिनके नाम का इस्तेमाल अब चुनावी खर्च को समायोजित करते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के समर्थन में माहौल बनाते हुए कांग्रेस के प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार अभियान छेड़ना है। इसके अलावा धर्म के नाम पर राजनीति करने का पुराना अमोध हथियार तो उनके पास हमेशा मौजूद रहता ही है।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
Lok Sabha Election 2024: कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में चुनाव प्रचार के लिए बी-टीम सक्रिय कर दी गई है, जिसके जरिए भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए न केवल धर्म और तथाकथित धर्म गुरूओं का सहारा लिया जा रहा है।

बल्कि स्थानीय मीडिया में प्रतिद्वंदी प्रत्याशी को कोसने और उसकी कथित खामियां गिनाने के लिए उन निर्दलीय उम्मीदवारों का सहारा लिया जा रहा है जिन्हे एक गंभीर प्रत्याशी के रूप में नहीं बल्कि डमी केंडीडेट के रूप में चुनाव मैदान में उतारा गया था ताकि ऎसे ही किसी ‘आडे’ वक्त में उनकी ओर से दिए गए इश्तिहार का खर्चा उनके ही चुनावी खर्च में जुड़वा कर अपना मतलब साधा जा सके।

भाजपा की इस बी टीम में वे निर्दलीय उम्मीदवार शामिल है, जिनका नामांकन भरने से लेकर मतगणना समाप्त होने तक का सकल खर्च उठाना और इस पूरी कवायद का मकसद प्रतिद्वंदी राजनीतिक दल के प्रत्याशी को निशाने पर बनाए रखते हुए अपने चुनावी खर्च पर भाजपा के प्रत्याशी के समर्थन में हित साधना है।

लोकसभा चुनाव में किसी भी प्रत्याशी के अधिकतम खर्च की सीमा 95 लाख रुपए निर्धारित है। ऎसे में इन डमी प्रत्याशियों के जरिए कई सारे चुनावी प्रचार के खर्च संधारित किए जाते हैं। भाजपा की यह बी टीम दो डमी निर्दलीय उम्मीदवार के नाम से चुनाव प्रचार खाते में कोटा के दो बड़े समाचार पत्र संस्थानों को पिछली 18 अप्रैल से बड़े-बड़े इश्तिहार देकर कांग्रेस प्रत्याशी की कमियां गिनाते हुए उनका मानमर्दन करने की कोशिश करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा को लाभ पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

इन इश्तिहारों का कांग्रेस प्रत्याशी के नाम का उल्लेख किए बिना उन पर दल बदलने सहित गालीगलौच करने, धमकाने, पूर्व में भाजपा प्रत्याशी के बाद अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के शरणागत होने के सतही आरोप लगाये जा रहे हैं, जो अपना असर तो नहीं छोड़ पा रहे,अलबत्ता अपनी बदनीयत जरूर मतदाताओं के समक्ष प्रकट कर रहे है।

भारतीय जनता पार्टी की धर्म और धर्म के नाम पर राजनीतिक हित साधने की पुरानी रणनीति की कड़ी में पूरे देश भर में भगवान राम के नाम से बने लेकिन खंड़-खंड़ में बंटे कई सारे एक नाम के सम्प्रदायों में से एक के कर्ताधर्ता गुरू जी सोमवार को कोटा आए और तलवंडी में एक सामुदायिक स्थल में ठहरे और कोटा संभाग में उनके जो कुछ संख्या में अनुयायी मौजूद हैं, उनकी शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए एक सामूहिक लंगर का यहां आयोजन किया गया।

लगभग सभी कट्टर अनुयायी आये भी। यहां यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि उल्लेखित संगठन का नाम हिंदुओं के आराध्य श्रीराम के नाम से जरूर है, लेकिन इसके भक्तों का हिंदुओं के आराध्य भगवान राम से दूर-दूर तक का कोई वास्ता नहीं है बल्कि ये भगवान की जगह व्यक्ति पूजक होकर गुरू को ही पूजते हैं।

गुरूवर का जिस जोधपुर जिले में उनका आश्रम है, वहां से भाजपा के एक केंद्रीय मंत्री का यह संदेश साथ लेकर कोटा के लिए चले थे कि कोटा में कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ कड़े चुनावी समर में फ़ंसे भाजपा के प्रत्याशी को ही वोट देने का स्पष्ट संदेश अनुयायियों को देना है जो उन्होंने दिया भी और अनुयायी तो पहले ही आदेश मानने की भावना के साथ सामूहिक भोज में पहुंचे थे तो उन्हें तो सहर्ष स्वीकार करना ही था जो उन्होंने हमेशा की तरह इस बार भी कर लिया।

अब थोड़ा सा रंग में भंग तब पड़ा जब अनुयायी पलक पावड़े बिछाये प्रतीक्षा करते रहे। सामूहिक भोज तक निपट गया लेकिन तब तक भाजपा के संसदीय चुनाव के प्रत्याशी पहुंचे ही नहीं और जब आए भी तो यह कहकर ओर जले पर नमक छिड़क दिया कि चुनाव बाद अब जब भी जोधपुर आया तो आपकी चौकी जरूर आउंगा तो तिलमिलाहट में उन्हे भाजपा प्रत्याशी को यह उलाहना देना पड़ा कि यहां तो समय पर आए नहीं, आश्रम में क्या आओगे?

जोधपुर जिले में स्थित इस सम्प्रदाय आश्रम के गुरूजी से पिछले दिनों लोकसभा चुनाव लड़ रहे एक केन्द्रीय मंत्री ने मुलाकात कर अपने समर्थकों से भाजपा के प्रत्याशियों को जिताने के लिए अपील करने का आग्रह किया था, जिसे उन्होंने न केवल स्वीकारा बल्कि इस संदेश को पहुंचाने के लिए खुद चलकर जगह-जगह अनुुयायियों के बीच पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में यह कोटा यात्रा हुई। अब गुरूवर लौट गए हैं और अनुयायी भाजपा के प्रत्याशी को वोट देने को अभी से आतुर हैं। आखिर गुरू जी का आदेश जो है।