JEE-Main Session-2 : अब तक 90 हजार से अधिक आवेदन, 2 मार्च है अंतिम तिथि

60

जेईई मेन 2024 सत्र-1के रिजल्ट में गड़बड़ी पर एनटीए ने जारी किया स्पष्टीकरण

नई दिल्ली। JEE-Main Session-2: जेईई मेन 2024 सत्र-1 (जनवरी) का रिजल्ट जारी होने के बाद शुरू हुए विवाद पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) नेअधिसूचना जारी की है। इसमें छात्रों का शिफ्टवार संख्या के साथ प्रत्येक शिफ्ट में हर पर्सेन्टाइल स्कोर पर छात्रों की गणना भी जारी की है। इसे स्पष्टीकरण के रूप में देखा जा रहा है।

इधर, जेईई-मेन सेशन-2 अप्रैल की आवेदन प्रक्रिया जारी है और अब तक 90 हजार से अधिक नए यूनिक छात्र आवेदन कर चुके हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 2 मार्च तक है। बीई-बीटेक की परीक्षा 27 जनवरी से एक फरवरी के मध्य 10 शिफ्टों में हुई ई थी। परिणाम 12 फरवरी को आया था। इसके बाद से ही एनटीए स्कोर को लेकर असमंजस की स्थिति थी। कई सवालों के जवाब नहीं मिल पा रहे थे।

इसका मुख्य कारण प्रत्येक शिफ्ट में छात्रों के रॉ स्कोर पर जारी किए गए एनटीए स्कोर में आ रही भिन्नता थी। इसके बाद अभिभावक ने आंदोलन करते हुए एनटीए से स्पष्टीकरण जारी करने की मांग की थी।

एनटीए के जारी किए आंकड़ों के अनुसार 27 जनवरी से 1 फरवरी के मध्य हुई 10 शिफ्टों में समान रूप से छात्रों के लिए परीक्षा के शिफ्टें आवंटित की गई, जिसमें अधिकतम एक शिफ्ट में 1 लाख 25 हजार एवं न्यूनतम 1 लाख 16 हजार छात्र शामिल थे। प्रत्येक शिफ्ट में छात्रों की संख्या लगभग 82 हजार तथा छात्राओं की संख्या लगभग 40 हजार रही। जारी किए गए आंकड़ों में प्रत्येक शिफ्ट में 1 पर्सेन्टाइल पर छात्रों की संख्या भी जारी की गई।

स्पष्टीकरण में एनटीए ने जेईई-मेन के लिए बनाए जाने वाले प्रश्नपत्र के तरीके को स्पष्ट किया। इसमें बताया गया कि एनटीए पेपर की प्रकृति को समान रखती है। रेण्डम रूप से शिफ्टों में वितरित किया जाता है। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया कि रॉ स्कोर और पर्सेन्टाइल स्कोर में कोई समानता नहीं होती। नार्मेलाजेशन का प्रोसेस तय करने के लिए एक्सपर्ट्स की सलाह ली जाती है, इन एक्सपर्ट्स में आईएसआई कोलकाता, आईआईएससी बैंगलुरु एवं आईआईटीज के प्रोफेसर्स शामिल होते हैं।

स्पष्टीकरण से छात्र एवं अभिभावक के उठाए सवालों के जवाब मिल गए। 23 का 100 पर्सेंटाइल स्कोर रहा। 99 से 100, 98 से 99 इसी तरह 90 से 91 पर्सेन्टाइल तक जारी आंकड़ों में छात्रों की संख्या भी समान ही रही। यह करीब एक हजार से 1350 तक रही।