ऊंझा। गुजरात में लॉकडाउन अब लगभग खत्म हो गया है। यही वजह है कि राज्य में जीरे समेत अन्य सभी प्रमुख जिंसों का थोक कारोबार करीब-करीब सामान्य हो गया है। हालांकि देश के कई राज्यों में अभी भी कहीं लॉकडाउन चालू होने और कहीं पर अनलॉक की प्रक्रिया चलने से उठाव सीमित बना हुआ है। इसके बाद भी जीरे में हाल ही में थोड़ी तेजी आई है। आगामी दिनों में भी इसमें धीरे-धीरे सुधार होते रहने के आसार हैं।
ऊंझा में पिछले कुछ समय से जीरे की नीलामी दैनिक आधार पर हो रही है। यद्यपि तमिलनाडु आदि जैसे कुछेक राज्यों में अभी लॉकडाउन चालू है, जबकि राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया चल रही है। ऊंझा में पिछले कुछ समय से जीरे का उठाव सुस्त बना हुआ है। गुजरात में मानसून पहुंच चुका है।
मौसम विभाग ने राजधानी दिल्ली समेत हरियाणा, पंजाब आदि जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में मानसून आने में करीब 5 से 7 दिनों का और समय लगने का अनुमान व्यक्त किया है। बहरहाल, ऊंझा में जीरे की करीब 7-8 हजार बोरियों की आवक होने तथा 10-20 रुपए प्रति 20 किलोग्राम की और तेजी आने की रिपोर्ट मिली है।
आवक के अनुरूप मांग सुधरने से ऊंझा में जीरे की कीमत 2540/2570 रुपए प्रति 20 किलोग्राम के स्तर पर बनी हुई है। बहरहाल, पूर्व में आई मंदी के बाद किसानों की बिकवाली लगातार सीमित बनी हुई है। भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है, लेकिन अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं।
आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है। इधर, अनलॉक की प्रक्रिया चालू होने के बाद भी स्थानीय थोक किराना बाजार में सुस्त कामकाज के बीच जीरा सामान्य 100 रुपए बढ़कर 14,100/14,200 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय जीरे की कीमत पिछले एक महीने से 3.57 डॉलर प्रति किलोग्राम पर बनी हुई है।
एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में यह कीमत 3.75 डॉलर थी। इस आधार पर देखें तो भारतीय जीरे की नवीनतम अंतरराष्ट्रीय कीमत 0.18 डॉलर या 4.80 प्रतिशत नीची बनी हुई है। मसाला बोर्ड द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में देश से 4253.10 करोड़ रुपए मूल्य के 2.99 लाख टन जीरे का निर्यात हुआ है।
इससे पूर्व वित्त वर्ष की आलोच्य अवधि में इसकी 2,14,190 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 3328.06 करोड़ रुपए की आय हुई थी। इससे पता चलता है कि इस बार मात्रा के आधार पर जीरे के निर्यात में 40 प्रतिशत और आय की दृष्टि से 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आगामी दिनों में जीरे में धीरे-धीरे सुधार हो रहने का अनुमान है।