राजस्थान के श्रीगंगानगर में पेट्रोल देश में सबसे महंगा क्यों है?

0
360

जयपुर। राजस्थान के श्रीगंगानगर के बाशिंदों को पेट्रोल और डीजल की सबसे ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। देश में शायद कहीं भी ईंधन इस शहर जितना महंगा नहीं होगा। यहां पेट्रोल की खुदरा कीमत 106 रुपये प्रति लीटर के करीब पहुँच चुकी है। डीजल की कीमत 98.32 रुपये प्रति लीटर है ।

राजस्थान वाहन ईंधन पर सबसे अधिक शुल्क लगाने वाले राज्यों में है मगर श्रीगंगानगर में कीमतें और भी ज्यादा रहने का कारण पेट्रोल और डीजल की परिवहन लागत है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में कल पेट्रोल की कीमत 101.02 रुपये प्रति लीटर और डीजल की 94.19 रुपये प्रति लीटर थी। श्रीगंगानगर की तुलना में वहां पेट्रोल 4.45 रुपये और डीजल 4.38 रुपये प्रति लीटर सस्ता है।

श्रीगंगानगर से विधायक राज कुमार गौड़ 2008 से ही यह मामला उठा रहे हैं। गौड़ ने बताया, ‘पहले 60 किलोमीटर दूर हनुमानगढ़ में ईंधन डिपो थे। मगर वे बंद कर दिए गए। इससे इलाके के बाशिंदों के लिए ईंधन की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। श्री गंगानगर के उपभोक्ता 1 लीटर पेट्रोल के लिए देश के अन्य हिस्सों के उपभोक्ताओं से 10 रुपये ज्यादा कीमत चुका रहे हैं।’ गौड़ निर्दलीय विधायक हैं और उनका कहना है कि पिछले कुछ अरसे से वह केंद्र सरकार के सामने यह मसला उठा रहे हैं और राज्य विधानसभा में भी मुद्दा उठा चुके हैं।

नजदीकी डिपो बंद
करीब 15 साल पहले सार्वजनिक क्षेत्र की तीन तेल विपणन कंपनियों- इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के ईंधन डिपो हनुमानगढ़ में थे, जहां से श्रीगंगानगर और बीकानेर में ईंधन पहुंचता था। राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनीत बगई के मुताबिक ये डिपो कम बिक्री की वजह से बंद कर दिए गए। हालांकि तेल विपणन कंपनियों का कहना थ कि इन्हें सुरक्षा कारणों से बंद किया गया। बगई ने कहा कि वहां पेपर डिपो शुरू करने और 90 किलोमीटर दूर स्थित भटिंडा रिफाइनरी से तेल लाने की गुजारिश की की जा रही है मगर सीमावर्ती पेट्रोल पंपों पर ईंधन की कम खपत होने के कारण कंपनियां इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहीं। पेपर डिपो के जरिये कोई तेल कंपनी अपना ईंधन दूसरी कंपनी के डिपो में रख सकती है।

ढुलाई लागत की समस्या
पूरे राज्य में परिवहन का खर्च अलग-अलग आता है। पेट्रोल पंप मालिक और एम्पावरिंग पेट्रोलियम डीलर्स फाउंडेशन के मेंटर हेमंत सिरोही के मुताबिक तेल विपणन कंपनियां हर एक किलोमीटर के लिए 2.80 रुपये प्रति किलोलीटर ढुलाई शुल्क लेती हैं। सिरोही ने कहा, ‘इससे एक ही राज्य और कभी-कभी एक जिले के अलग-अलग पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल और डीजल की कीमत अलग-अलग हो जाती है। कीमत आपूर्ति की जगह से पेट्रोल पंपों की दूरी पर निर्भर करती है।’

इस वजह से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थिति पेट्रोल पंपों पर कीमतों मेंं कुछ पैसे का अंतर होता है। आम तौर पर बड़े राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर तक का अंतर होता है। लेकिन तेल कंपनियां डिपो भी उन इलाकों के करीब बनाती हैं, जहां खपत ज्यादा होती है। इसीलिए कम खपत वाले दूरदराज के इलाकों में परिवहन लागत बढऩे से दाम भी बढ़ जाते हैं। उत्तर राजस्थान के पंप मालिक पंजाब और हरियाणा से तेल लाएं तो बहुत सस्ता पड़ेगा मगर उन्हें ऐसा करने की इजाजत ही नहीं है।

पेट्रोल पर 36 फीसदी वैट
राजस्थान में वैट की ऊंची दर से भी पंप मालिक हमेशा दुखी रहे हैं। राज्य में पेट्रोल पर 36 फीसदी वैट और 1,500 रुपये प्रति किलोलीटर का सड़क विकास उपकर लगाता है, जो शायद देश में सबसे अधिक है। इसके अलावा केंद्र सरकार पेट्रोल पर 32.90 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लगाती है। बगई ने कहा, ‘राज्य में एक के बाद एक आने वाली हर सरकार ने ईंधन पर वैट बढ़ाया है। राजस्थान और पड़ोसी राज्यों के बीच ईंधन की कीमतों का अंतर कभी 50 पैसे प्रति लीटर था, जो अब 12 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इससे सीमावर्ती इलाकों में ईंधन की खपत घटी है। अनुमान है कि सीमावर्ती जिलों में 1,200 पेट्रोल पंप बंद होने के कगार पर हैं क्योंकि इतनी कम बिक्री में उन्हें मुनाफा ही नहीं हो पाता।’

स्थानीय शुल्क की मार
देश में पंपों पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अंतर की एकमात्र वजह लागत ही नहीं है। फेडरेशन ऑफ ऑल महाराष्ट्र पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उदय लोध ने कहा, ‘किसी राज्य के जिलों में वाहन ईंधन की कीमतों में अंतर की वजह स्थानीय शुल्क और परिवहन लागत भी हो सकते हैं। परिवहन लागत तेल कंपनियां वसूल करती हैं, जबकि स्थानीय शुल्क नगर निकायों के क्षेत्राधिकार में आते हैं।’