कोरोना मरीजों के घर-घर सर्वे के साथ घर-घर वेक्सिनेशन भी हो : डॉ. गुप्ता का सुझाव

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कोटा। लाॅयन्स क्लब कोटा साउथ के चार्टर सेक्रेटरी, जीवण आशीष समिति के सचिव होम्योपैथिक डॉक्टर लोकमणि गुप्ता ने राजस्थान सरकार को कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए घर-घर सर्वे अभियान के साथ घर-घर वेक्सिनेशन का सुझाव दिया है। उनका मानना है कि जैसे घर-घर पोलियो ड्रॉप्स की दो बूंद पिलाकर बीमारी पर नियंत्रण किया था, वैसे ही कोरोना महामारी पर काबू पाया जा सकता है।

पोलियो में सफलता का सर्वाधिक श्रेय घर घर जाकर पोलियो ड्राप्स पिलाने को है। अगर कोरोना वैक्सीन घर-घर लगाने की पहल की जाये तो सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। उन्होंने बताया कि सबसे पहले कोरोना वेक्सीन के संरक्षण को लेकर विचार करना आवश्यक है।

वैक्सीन को सुरक्षित कैसे रखें

  • कोरोना वेक्सीन अपने निर्माण से छह महीने तक सुरक्षित तापमान में रहते हुए काम आ जाना चाहिए।
  • अपने वैक्सीन निर्माण स्थल से निकल कर ट्रांसपोर्ट सिस्टम से गुजरते हुए जन सामान्य को लगने तक माईनस 70 डिग्री सेल्सियस से 8.0 डिग्री सेल्सियस तक रहना चाहिए।
  • विविध ट्रांसपोर्ट सिस्टम से अन्तिम बिन्दु टीकाकरण केन्द्र पर पहुंचने पर यह वेक्सीन 2.0 डिग्री सेल्सियस से 8.0 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में 5 दिन तक सुरक्षित रहती है।
  • वेक्सीन के समुचित सुरक्षित सदुपयोग के लिए ही रजिस्ट्रेशन एवं स्लोट बुकिंग व्यवस्था बनाई गई है।

डॉ. गुप्ता का सुझाव है कि जिस प्रकार चिकित्सा विभाग की टीमें घर घर सर्वे करने जा रही हैं, उन्हें ही ट्रेनिंग देकर अथवा उपलब्ध ट्रेण्ड स्टाफ को साथ लगाकर घर पर ही टीकाकरण करने की व्यवस्था बनाई जाए। इसका सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि टीकाकरण केन्द्र पर होने वाले क्रोस संक्रमण से बचाव होगा।

तापमान कैसे मेंटेन होगा
उनका कहना है कि कूलिंग सिस्टम बनाए रखने का तो वैसे तो समुचित मात्रा में विविध खण्ड दार कूलिंग बाक्सेज उपलब्ध होते हैं, जिनके उपयोग से मिनिमम लक्ष्य बनाकर धीरे -धीरे छोटी छोटी लोकेलिटीज़ कवर की जा सकती हैं। उनका इस मामले में यह भी सुझाव है कि आइसक्रीम ठेला गाड़ियों को सेनेटाइज्ड एवं स्टरलाइज्ड करके इनका भी उपयोग किया जा सकता है।

आइसक्रीम वेण्डरों के अनुसार एक आइस क्रीम गाड़ी में पहले कूलिंग सिस्टम बनाए रखने हेतु 15 किलो बर्फ में 2 किलो नमक डालकर जमाया जाता है। उसके बाद उसमें आइसक्रीम रखी जाती है।इस प्रकार से बर्फ में रखी हुई आइसक्रीम 15 से 20 घंटों तक सुरक्षित जमीं रहती है।

कितना तापमान जरूरी
वैज्ञानिक तथ्य यह है कि बर्फ 0.0 डिग्री सेल्सियस पर जमता है। आइसक्रीम का दूध 4.0 डिग्री सेल्सियस पर जमता है। यह तापमान क्रम ये दर्शाता है कि ठेला गाड़ी में तापमान वैक्सीन की सुरक्षा के लिए वांछित तापमान 2.0 डिग्री सेल्सियस से 8.0 डिग्री सेल्सियस के मध्य में ही रहता है।

अमेरिकन सोसायटी आफ मेकेनिकल इंजीनियर्स के पूर्व सदस्य इंजीनियर सौरभ गुप्ता ने आशा व्यक्त की कि इस विचार को अपनाते हुए अगर कार्य प्रणाली विकसित की जाए तो कोविड 19 (COVID -19) महामारी से बचाव में यह प्रणाली कारगर साबित हो सकती है।

गुप्ता का कहना है लोकडाउन के समय में आइसक्रीम उद्योग एवं बेरोजगार वेण्डरों की स्थिति पर विचार कर सरकार फेक्ट्रियों में खड़ी हुई आइसक्रीम गाड़ियों को हायर भी कर घर-घर टीकाकरण को मुहूर्त रूप दे सकती है।