मिलों की कमजोर मांग से उड़द में गिरावट, दालों के दाम स्थिर

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नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से बुधवार को दिल्ली में बर्मा उड़द की कीमतों में गिरावट आई, जबकि अन्य दालों के दाम स्थिर बने रहे। राज्य सरकार के खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के विभाग ने व्यापारियों, मिल मालिकों और आयातकों को केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए पोर्टल पर दालों की साप्ताहिक स्टॉक पोजीशन देने को कहा है जिससे दलहन की कीमतों पर दबाव है।

आयात पड़ते सस्ते होने के कारण बर्मा लाईन की एफएक्यू और एसक्यू उड़द के दाम 50-50 रुपये कम होकर भाव क्रमश: 6,800 रुपये और 7,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। घरेलू बाजार में बर्मा उड़द की मौजूदा कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है क्योंकि जून और जुलाई शिपमेंट के सौदे नीचे दाम पर हो रहे है तथा करीब 1,700-1,800 कंटेनर लेकर 27 मई से 18 जून के बीच बर्मा से 8-9 सीधे जहाजों आने वाले हैं। बर्मा स्थित व्यापारी के अनुसार, इस बीच, बर्मा में कोई भी बिकवाली सक्रिय नहीं है क्योंकि स्थानीय मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हुई है।

बर्मा की लेमन अरहर भाव 6,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सरकार द्वारा अरहर, उड़द और मूंग के आयात को फ्री करने के बाद अगले महीने सस्ती दालों के आयात से कीमतों पर दबाव बना हुआ है। चेन्नई हाजिर बाजार में लेमन अरहर की कीमतें 6,000 रुपये प्रति क्विंटल टिकी रही।बर्मा लाईन की नई लेमन अरहर के आगे के सौदे जून-जुलाई शिपमेंट के करीब 6,150 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे हैं।

आयातित मसूर का स्टॉक कम होने के बावजूद भी मिलों की मांग घटने से कनाडा लाईन की मसूर की मसूर के दाम 6,500 रुपये प्रति क्विंटल स्थिर बने रहे, जबकि मध्य प्रदेश की मसूर के दाम 6,650 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। मसूर की आवक मंडियां बंद होने के साथ ही लॉकडाउन के कारण सीमित मात्रा में ही हो रही है जबकि आयात शुल्क ज्यादा होने के कारण आयात में पड़ते भी नहीं लग रहे हैं, ऐसे में मसूर की कीमतों मेंं नीचे भाव में मांग सुधरने की उम्मीद है।हालांकि, बाजार में इस बात का डर है कि कहीं सरकार जल्द ही मसूर पर आयात शुल्क कम कर सकती है या समाप्त कर सकती है।