सरकार का कोविशील्ड वैक्सीन की दो डोज के बीच गैप बढ़ाने का विचार

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नई दिल्ली। कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन को लेकर लगातार दुनिया भर में रिसर्च हो रही है। इन रिसर्च के आधार पर कोरोना वैक्सीन के यूज को लेकर निर्णय भी लिए जा रहे हैं। इस बीच देश में सरकार ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन की दो डोज के बीच गैप को बढ़ा सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार की एक एक्सपर्ट कमेटी इस मुद्दे पर विचार कर रही है। कमेटी उस स्टडीज पर विचार कर रही है जिसमें कहा गया है कि दो डोज के बीच लंबा अंतराल वैक्सीन के प्रभाव को बढ़ा देता है। कमेटी अगले सप्ताह तक इस पर फैसला ले सकती है।

पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले ही अप्रैल में कोविशील्ड की दो डोज के बीच गैप को 4-6 सप्ताह से बढ़ाकर 6-8 सप्ताह कर दिया था। इससे पहले मार्च में प्रतिष्ठित हेल्थ जर्नल लांसेट में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि कोविशील्ड की दूसरी डोज अगर 12 सप्ताह बाद दी जाती है तो यह और अधिक प्रभावी होती है।

रिसर्च में पाया गया कि कोविशील्ड की डोज को यदि छह सप्ताह से कम गैप के बीच दिया जाता है तो इसका असर 55.1 परसेंट ही दिखा। दूसरी तरह, कोविशील्ड की दो डोज के बीच अंतर 12 सप्ताह रहने पर इसका प्रभाव बढ़ कर 81.3 परसेंट हो गया। वहीं, ब्रिटेन और ब्राजील में हुए रिसर्च में सामने आया कि यदि वैक्सीन की पहली डोज और दूसरी डोज के बीच कम से कम एक महीने का अंतर रहने पर इसका प्रभाव 90 परसेंट तक रहा। हालांकि, इसको लेकर अधिक डाटा उपलब्ध नहीं है।

यदि कोविशील्ड वैक्सीन की दो डोज के बीच गैप बढ़ता है तो भारत को इसका दो मोर्चों पर फायदा मिलेगा। लंबी अवधि के कारण सप्लाई बढ़ने से वैक्सीन की कीमतों में कमी आएगी। यदि दूसरे डोज के लिए लोगों की संख्या कम होती है तो ऐसे में अधिक लोगों को पहली डोज दी जा सकेगी। कई देश अपने यहां वैक्सीनेशन में करीब तीन महीने का गैप रख रहे हैं जिससे कि अधिक से अधिक आबादी को वैक्सीन लगाई जा सके।