कोटा। चंबल नदी पर राजस्थान का सबसे लंबा पुल कोटा में बनेगा। काेटा जिले में झरेल के बालाजी के पास 165 करोड़ की लागत से बनने वाले इस ब्रिज की लंबाई 1880 मीटर हाेगी। कोटा सीधे सवाईमाधोपुर से जुड़ जाएगा। बारां जिले का सीधा संपर्क इटावा, खातौली होते हुए सवाईमाधोपुर और मध्यप्रदेश से हो जाएगा।
यह नया ब्रिज वर्तमान में चंबल पर सबसे बड़े गैंता माखीदा ब्रिज से भी बड़ा हाेगा। गैंता-माखीदा ब्रिज की लंबाई 1562 मीटर है। राज्य सरकार ने पिछले साल के बजट में झरेल के बालाजी ब्रिज की डीपीआर के लिए 30 लाख रुपए जारी किए थे। पीडब्ल्यूडी के एडिशनल चीफ इंजीनियर एसके बैरवा ने स्वीकृत कर जयपुर भेज दिया है।
बजट में 131 करोड़ घोषित:.राज्य सरकार ने पिछले साल बजट घोषणा में झरेल के बालाजी पुल की डीपीआर निर्माण के लिए 30 लाख रुपये जारी किये थे। हालांकि, कोविड-19 के चलते बीते पूरे साल यह कार्य नहीं हो सका। अब इसकी डीपीआर फरवरी 2021 में तैयार हुई। जिसे कोटा के अतिरिक्त मुख्य अभियंता सुरेश कुमार बैरवा ने स्वीकृत करते हुए जयपुर भेजा है। यह डीपीआर 165 करोड़ रुपये की है। जिसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 24 फरवरी को बजट घोषणा में इस पुल के निर्माण के लिए राशि स्वीकृत की है, जिसमें 131 करोड रुपये की घोषणा हुई।
टेंडर निकालने की तैयारी: बजट घोषणा के बाद अब इस पुल के निर्माण के लिए राज्य सरकार की अनुमति से निविदा निकाली जाएगी। उसके बाद टेंडर फाइनल होने के साथ ही निर्माण शुरू हो जाएगा। गैंता- माखीदा पुल जिस तरह से 2 साल में बनकर तैयार हुआ था। लगभग उतने ही समय में यह पुल भी तैयार हो जाएगा।
12 मीटर चौड़ाई, साढ़े 7 मीटर का होगा कैरिज वे: पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर सुरेश कुमार बैरवा का कहना है कि यह प्रेस्ट्रेस्ड कंक्रीट गर्डर ब्रिज होगा, जिसमें चार गर्डर है। जबकि, गैंता माखीदा में यह तीन गर्डर वाला पुल बनाया गया है। पुल की चौड़ाई 12 मीटर होगी, जिसमें साढ़े 7 मीटर का कैरिज वे होगा। इस पुल के निर्माण में 280 मीटर की एप्रोच सड़क सवाई माधोपुर की तरफ ही बनाई जाएगी। इसके अलावा कोटा की तरफ 486 मीटर की अप्रोच रोड बनेगी, जिनमें दो छोटे-छोटे माइनर पुल भी बनाए जाएंगे।
पाइल फाउंडेशन के होंगे पिलर: .इस पुल के निर्माण के दौरान 48 पिलर खड़े किए जाएंगे, जिसमें दोनों तरफ दो एबेटमेंट भी होंगे, जो सवाई माधोपुर और कोटा की तरफ पुल की शुरुआत में बनेंगे। इन 48 पिलर पर 47 स्पान होंगे। हर पिलर के बीच जो स्पान रखे जाएंगे, 40 मीटर लंबे होंगे। चट्टान के ऊपर बनने वाले ओपन पिलर 5 होंगे। वहीं, 7 वेल फाउंडेशन होंगे। इसके अलावा 36 पाइल फाउंडेशन होंगे, जो मिट्टी और चट्टानों पर बनते हैं, जिनमें दो एबेटमेंट शामिल है।
इसलिए लंबा हुआ पुल: झरेल के बालाजी के नजदीक पानी का फैलाव ज्यादा है. चंबल नदी का भी फैलाव है. इसके चलते पुल की लंबाई ज्यादा रखी गई है, ताकि जो एप्रोच सड़क बनाई जाएगी, ताकि उसमें मिट्टी के कटाव को नियंत्रित किया जा सके।