नई दिल्ली। बाजरे की कीमतें कमजोर स्तर पर आ चुकी है। यहां से किसी भी मंडी से पड़ता नही लग रहा है, केवल पोल्ट्री उद्योग में रुपए की तंगी रहने से पूछपरख कम हो रही है।
गौरतलब रहे कि बाजरे की निकट भविष्य में ज्यादा बड़ी फसल आने वाली नहीं है। जून के माह में एक छोटी फसल साठी आती है, इसकी बिजाई चारा के लिये किसान करते थे, लेकिन बीच में ऊंची कीमतें मिलने से इस फसल को भी थोड़ा तैयार करने लगे थे।
जानकारों के अनुसार, इस बार वह भी माल कम आने वाला है तथा मुख्य फसल सितंबर में आयेगी। मक्की की कीमतें पहले से 250 रुपए प्रति क्विंटल तेज चल रही है। इन परिस्थितियों में कमजोर कीमतें में व्यापार लाभदायक रहेगा।
मक्की में कमज़ोर बिजाई के आसार: गुलाब बाग, दरभंगा सहित नॉर्थ ईस्ट बिहार के सभी उत्पादक राज्यों में मक्की की बिजाई 18-20 फीसदी कम बताई जा रही है तथा मुजफ्फरपुर लाईन में भी गेहूं की कटाई के बाद बिजाई होगी,क्योकि इधर फसल लेट आती है।
गौरतलब रहे कि रबी व खरीफ दोनों ही सीजन में किसानों को मक्की में भारी नुकसान देखने को मिला है, जिससे किसान इसकी बिजाई दलहनीय व सब्जियों की खेती पर ज्यादा रूझान बनाने लगे है।
दूसरी ओर, सरकार द्वारा मक्की का समर्थन मूल्य 1850 रुपए सरकार द्वारा कर दिया गया है जबकि आगे संभावना है कि इस बार बिहार में सरकारी खरीद भी बढ़ेगी। इस स्थिति में ज्यादा मक्की में मंदे का व्यापार नही करना चाहिए।