रबी सीजन में सरसों का उत्पादन 15 फीसदी बढ़कर 84 लाख टन रहने की संभावना

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मुंबई। देश में चालू रबी फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में सरसों का उत्पादन 15 फीसदी बढ़कर 84 लाख टन रहने की संभावना है। हालांकि, यह अनुमान केंद्र सरकार के लक्ष्य 125 लाख टन और वर्ष 2019-20 के चौथे अग्रिम अनुमान 91 लाख टन से कम रहने के आसार हैं।’

देश के प्रमुख सरसों विश्लेषकों के मुताबिक इस साल सरसों का उत्पादन अधिक रहने का अनुमान है। जीजी पटेल एंड निखिल रिसर्च कंपनी के गोविंद पटेल का कहना है कि सरसों के दाम ऊंचे होने से किसानों ने इस साल इसकी बोआई को बढ़ाया है। रकबा बढ़ने एवं मौसम अनुकूल होने से सरसों की खड़ी फसल के हालात अच्छे हैं एवं यील्ड में इजाफा होने की संभावना है जिससे कुल मिलाकर सरसों का उत्पादन बढ़ेगा। केंद्र सरकार के मुताबिक चालू रबी फसल वर्ष 2020-21 में सरसों की बुआई 74 लाख हैक्टेयर में हुई है जो पिछले साल की तुलना में सात फीसदी अधिक है। इस बोआई में तोरिया, तारामीरा आदि को शामिल किया गया है।’

वेजिटेबल ऑयल प्रॉडयूर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट सुधाकर देसाई का कहना है कि बोआई के समय सरसों के दाम ऊंचे रहने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा होने से किसानों ने सरसों को वरीयता दी है। बोआई के समय सरसों के भाव अक्टूबर-दिसंबर के दौरान 700 रुपए बढ़कर 6100 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गए। जबकि, केंद्र सरकार ने इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 4650 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया जो पिछले सीजन में 4425 रुपए प्रति क्विंटल था।

सरसों के मुख्य उत्पादक इलाको राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भूमि में पर्याप्त नमी होने एवं दक्षिणपश्चिम मानसून इस साल बेहतर रहने से सरसों के लिए स्थितियां अनुकूल रही। सरसों के सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान में वर्ष 2020-21 के दौरान सरसों की बोआई 12 फीसदी बढ़कर 25 लाख हैक्टेयर पहुंच गई। रकबा बढ़ने की एक बड़ी वजह कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (डीएसी) का सरसों मिशन कार्यक्रम भी रहा। सरकार ने सरसों तेल में दूसरे तेलों की मिलावट को भी रोका। इस साल सरसों की फसल में कहीं से भी कोई कीट लगने या बीमारी होने के समाचार नहीं है। ऐसे में उत्पादन निश्चित रुप से बढ़ेगा।’

कुछ कारोबारियों का कहना है कि इस साल सरसों का उत्पादन बढ़ रहा है लेकिन क्वॉलिटी ठीक नहीं है। मात्रा भी कम या औसत है। सर्दी के मौसम में पर्याप्त बारिश न होने एवं जल्दी कटाई से क्वॉलिटी प्रभावित हुई है। इस साल फेयर एवरेज क्वॉलिटी में तेल की मात्रा जरुरी 35 फीसदी से दो फीसदी कम रहने की आशंका है। किसान सरसों के ऊंचे दाम का लाभ लेने के लिए समय से पहले इसकी कटाई कर रहे हैं जिससे क्वॉलिटी प्रभावित हुई है।’

सरसों के बेंचमार्क बाजार जयपुर में सरसों का भाव 6300-6500 रुपए प्रति क्विंटल बोला जा रहा है जो एक साल पहले समान समय में 4250-4300 रुपए प्रति क्विंटल था। सरसों की इन दिनों औसत आवक हाजिर बाजारों में 2.25 लाख बोरी (प्रति बोरी 100 किलोग्राम) है जो पिछले साल समान समय में 1.25 लाख बोरी थी। इस तरह सरसों की आवक में बढ़ोतरी हुई है। बता दें कि भारत में पैदा होने वाले कुल तिलहन में सरसों का योगदान 30 फीसदी रहता है जबकि रबी तिलहन में लगभग 85 फीसदी हिस्सेदारी रहती है।