मुंबई। देश में रबी फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में चने का उत्पादन 96 लाख टन रहने का अनुमान है। यह उत्पादन अनुमान पिछले सीजन के 97 लाख टन से एक फीसदी कम रहने के आसार हैं। कारोबारियों का यह अनुमान केंद्र सरकार के लक्ष्य 114 लाख टन से काफी कम है। कारोबारियों का कहना है कि मध्य प्रदेश में चने की बुआई घटने से उपज में इस साल कमी आएगी।’
कृषि आयुक्त एस के मल्होत्रा ने पिछले सप्ताह कहा था कि वर्ष 2020-21 में चने का उत्पादन 115 लाख टन होने की संभावना है जबकि कारोबारी इससे सहमत नहीं है और उनका कहना है कि चने के उत्पादन में कमी आएगी। आल इंडिया दाल मिलर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट सुरेश अग्रवाल का कहना है कि मध्य प्रदेश में चने की उपज में आने वाली कमी को महाराष्ट्र एवं गुजरात में बढ़े रकबे से पूरी करने में सहायता मिल जाएगी। कृषि मंत्रालय के मुताबिक देश में चने का रकबा पिछले साल की तुलना में चार फीसदी बढ़कर 112 लाख हैक्टेयर तक पहुंच गया है जबकि महाराष्ट्र में चने का रकबा 13 फीसदी और गुजरात में 117 फीसदी बढ़ा है। मध्य प्रदेश में चने का रकबा इस साल छह फीसदी घटा है।
मध्य प्रदेश के किसानों ने चने के बजाय गेहूं का वरीयता दी है जबकि महाराष्ट्र एवं गुजरात के किसानों ने गेहूं और दूसरी छोटी फसलों के बजाय चने को प्राथमिकता दी है। राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में भी चने का रकबा बढ़ा है जिससे उत्पादन बढ़ने की संभावना है। राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में दिसंबर-जनवरी में हुई बारिश से चने की फसल को फायदा हुआ है। हालांकि, मध्य भारत और उत्तर भारत में दिन का तापमान अचानक बढ़ने से चने के उत्पादन पर असर पड़ सकता है।