सर्दियों के मेहमान Sea-Gull की जल क्रीड़ा का कोटा बैराज पर मनोरम नजारा

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कोटा। Sea-Gull on Kota Barrage: सर्दियों का मौसम आते ही कोटा बैराज पर प्रकृति की अनुपम छटा देखने को मिल रही है। यहां इन दिनों मेहमान पक्षियों गंगा-चिल्ली (Sea-Gull) का आगमन हुआ है, जो अपने जल क्रीड़ा और कलरव से वातावरण को जीवन्त बना रहे हैं। पक्षी प्रेमियों के लिए यह दृश्य किसी उपहार से कम नहीं है।

कोटा में इन खूबसूरत पक्षियों के प्रति प्रेम का भाव स्पष्ट दिखाई देता है। कई पक्षी प्रेमी इन्हें उनका पसंदीदा आहार “नमकीन सेव” परोसने में जुट गए हैं। हालांकि, यह एक चिंताजनक बात है कि चम्बल नदी में पर्याप्त मछलियां न होने के कारण ये पक्षी सैलानियों द्वारा डाले गए कृत्रिम आहार पर निर्भर हो गए हैं।

पिछले वर्षों की चुनौती
दो वर्ष पहले यहां पर्याप्त आहार की कमी के चलते इन पक्षियों का आगमन नहीं हो पाया था। हालांकि, वापसी के दौरान मार्च महीने में कुछ समय के लिए ये पक्षी यहां जरूर ठहरे थे। इस बार, कोटा वासियों के प्रयासों और पक्षियों के प्रति उनके प्रेम के कारण, गंगा-चिल्ली ने एक बार फिर से यहां आने में रुचि दिखाई है।

आहार की उपलब्धता पर निर्भरता
प्राकृतिक आहार की कमी इन पक्षियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। पर्यावरणविदों और पक्षी प्रेमियों का मानना है कि कोटा वासियों को इन पक्षियों के लिए बेहतर आहार उपलब्ध कराने में आगे आना चाहिए। यदि इन्हें उचित पोषण और सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाए, तो कोटा बैराज हर साल इन सुंदर पक्षियों का प्रिय ठिकाना बन सकता है।

Sea-Gull का माइग्रेशन और महत्व
गंगा-चिल्ली जैसे पक्षी सर्दियों में ठंडे क्षेत्रों, जैसे उत्तरी यूरोप, साइबेरिया और आर्कटिक क्षेत्र से माइग्रेट करके भारत आते हैं। यह प्रवास भोजन की कमी और कठोर सर्दियों के कारण होता है। भारत में ये पक्षी मुख्यतः नदियों, झीलों और जलाशयों के आसपास देखे जाते हैं। कोटा बैराज इस लिहाज से एक महत्वपूर्ण पड़ाव बन गया है।

पक्षी प्रेमियों के लिए संदेश
गंगा-चिल्ली जैसे प्रवासी पक्षी न केवल पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में सहायक हैं, बल्कि उनकी उपस्थिति पर्यटन और जैव विविधता के लिए भी महत्वपूर्ण है। कोटा वासियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये पक्षी यहां हर साल आ सकें। ऐसा करके वे न केवल इन पक्षियों का संरक्षण करेंगे, बल्कि कोटा को एक प्रमुख पक्षी पर्यटन स्थल के रूप में भी उभरने का अवसर मिलेगा।

कोटा बैराज का यह नजारा
कोटा बैराज पर इन दिनों गंगा-चिल्ली का कलरव आनंद का अनुभव करा रहा है। यह सभी पक्षी प्रेमियों और पर्यावरणविदों के लिए एक प्रेरणा है कि वे प्रकृति और इन सुंदर मेहमान पक्षियों के प्रति संवेदनशीलता दिखाएं। यदि हम इन्हें बेहतर भोजन और माहौल प्रदान करें, तो हर साल कोटा बैराज का यह नजारा और भी मनोरम हो सकता है। (अखिलेश कुमार की फेसबुक वाल से)