मुंबई। 50 हजार का आंकड़ा छूने के बाद सेंसेक्स में भले दो दिनों से गिरावट हो, लेकिन आने वाले दिनों में इकोनॉमी से ज्यादा रफ्तार बाजार की रहने वाली है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन (M-Cap) देश की अर्थव्यवस्था से पहले 5 लाख करोड़ डॉलर (365 लाख करोड़ रुपए) का हो सकता है। फिलहाल यह 2.7 लाख करोड़ डॉलर यानी 194 लाख करोड़ रुपए है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2024 तक भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। बीएसई का मार्केट कैप 5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने के लिए जरूरी है कि सेंसेक्स 90 हजार तक पहुंचे। अगले 3-4 सालों में बाजार में 100 से ज्यादा कंपनियों की लिस्टिंग हो सकती है। इनमें एलआईसी, रिलायंस जियो और रिलायंस रिटेल भी शामिल हैं। ऐसे में इन कंपनियों का मार्केट कैप भी शेयर बाजार का मार्केट कैप बढ़ाने में मदद करेगा।
सीएनआई रिसर्च के चेयरमैन किशोर ओस्तवाल कहते हैं कि आने वाले समय में कई इवेंट भारत की अर्थव्यवस्था के साथ शेयर बाजार को भी रफ्तार दे सकते हैं। सरकार बीमा में अब विदेशी निवेश की सीमा 75% कर रही है। इससे देश में विदेशी पैसा आएगा। फिलहाल यह 49% की सीमा है। पिछले साल भी रिकॉर्ड विदेशी निवेश आया है। पिछले साल जनवरी से दिसंबर के बीच 1.70 लाख करोड़ रुपए का विदेशी निवेश हुआ। सबसे ज्यादा पैसा अक्टूबर से दिसंबर के बीच आया है। नवंबर और दिसंबर में तो 60-60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम आई है।
विशेषज्ञों के अनुसार हो सकता है किसी वजह से बीएसई का मार्केट कैप 2024 से पहले 5 लाख करोड़ डॉलर का न हो। लेकिन इकोनॉमी के साथ यह 5 लाख करोड़ डॉलर का जरूर हो जाएगा। अब भी GDP और मार्केट दोनों का साइज बराबर ही है। आगे अर्थव्यवस्था में जैसे-जैसे सुधार होगा, बाजार भी उसी तरह आगे बढ़ेगा।
दो महीने में सेंसेक्स दोगुना
पिछले साल मार्च के 25,690 के निचले स्तर से सेंसेक्स लगभग दोगुना हो गया है। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप भी करीब दोगुना हुआ है। उस समय यह 101 लाख करोड़ रुपए था। अब मार्केट कैप 194 लाख करोड़ रुपए है। हालांकि आगे इस रफ्तार से सेंसेक्स का बढ़ना मुश्किल है। मार्च में कोरोना की वजह से बाजार में भारी गिरावट आई थी, और फिर तेजी से रिकवरी हुई।