बेनामी सौदे वास्तविक लाभार्थी को छुपाने और कर चोरी के मकसद से किए जाते हैं।
नई दिल्ली। अगर आपने हाल में ही नया घर खरीदा है लेकिन कर का भुगतान नहीं किया है तो संभल जाएं। आयकर विभाग ने 10,000 से अधिक ऐसे लोगों का पता लगाया है, जिन्होंने जायदाद तो खरीदी है लेकिन कर नहीं चुकाया है।
पिछले साल नवंबर में नोटबंदी के बाद विभाग रियल एस्टेट सौदों के साथ ही बेनामी सौदों से जुड़े पहलुओं की भी जांच कर रहा है।
‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ के दूसरे चरण में कर विभाग 1 करोड़ रुपये और इससे अधिक मूल्य के संपत्ति सौदों की पड़ताल कर रहा है।
विभाग ने करदाताओं का लेखा-जोखा निकालने और लेनदेन की छानबीन के लिए चार डेटा माइनिंग कंपनियों को काम पर लगाया है।
इस बारे में एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने कहा, ‘डेटा माइनिंग के जरिये हमने कई ऐसे मामलों का पता लगाया है, जिनमें लोगों ने बड़े पैमाने पर जायदाद खरीदी हैं, लेकिन कर का भुगतान नहीं किया है।
ऐसे मामले देश भर में हैं। हमने विभिन्न शहरों में अपनी टीम भेजी है। अब तक 10,000 से अधिक लोगों की पहचान हो चुकी है।’ विभाग इन जायदाद के बेनामी होने के संदेह की भी जांच कर रहा है।
बेनामी सौदे वास्तविक लाभार्थी को छुपाने और कर चोरी के मकसद से किए जाते हैं। सरकार ने लोगों के आय कर विवरण के आधार पर इन मामलों का पता लगाया है।
कंपनियों और फर्मों के जायदाद लेनदेन को भी इसमें शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा कहीं अधिक हो जाएगा। अधिकारी ने कहा, ‘हम इन मामलों में प्राप्त सूचनाओं के आधार पर आगे बढ़ रहे हैं।
इन लोगों को नोटिस भेजे जा चुके हैं। कई फर्मों और कंपनियों के नाम भी सामने आएं हैं। इससे ऐसे मामलों की गिनती 10,000 से भी अधिक पहुंच रही है।’
1 करोड़ रुपये से कम मूल्य के जायदाद सौदों की भी जांच होगी। वास्तव में अगले महीने तक कर विभाग एलऐंडटी इन्फोटेक के साथ मिलकर ‘प्रोजेक्ट इनसाइट’ की शुरुआत करेगा।
इससे कर चोरी करना और मुश्किल हो जाएगा। प्रोजेक्ट इनसाइट के तहत ये सभी सूचनाएं आय कर विभाग के साथ साझा की जाएंगी और लोगों के स्थायी खाता संख्या (पैन) का इस्तेमाल कर विधिवत रूप में उनका लेखा-जोखा तैयार होगा।