नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज कहा कि देश के कम आबादी वाले शहरों में नियो मेट्रो चलेगी। वह दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन पर देश की पहली ड्राइवरलेस ट्रेन के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। महाराष्ट्र के पुणे और नासिक सहित देश कई शहरों में नियो मेट्रो चलाने की तैयारी है। दिल्ली में भी कीर्ति नगर से द्वारका के बीच नियो मेट्रो चलाई जाएगी। आइए जानते हैं कि आम मेट्रो और लाइट मेट्रो से कितनी अलग होगी नियो मेट्रो।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने पिछले महीने की शुरूआत में नियो मेट्रो लांच किया था। यह देश के उन शहरों के लिए लाया गया है जहां पर 20 लाख तक की आबादी है। रबड़ टायर पर चलने वाली तीन कोच वाली इस मेट्रो की लागत परंपरागत मेट्रो के निर्माण लागत से 40 फीसदी तक कम है। इसमें स्टेशन परिसर के लिए बड़े जगह की जरूरत नहीं होती है। यह सड़क के सरफेस या एलिवेटेड कॉरीडोर पर चल सकती है। हर कोच में 200 से 300 लोग सफर कर सकते हैं। इसे चलाने की लागत भी परंपरागत मेट्रो से कम है।
दिल्ली में भी नियो मेट्रो चलाने की तैयारी
कीर्ति नगर से द्वारका के बीच चलने वाली लाइट मेट्रो की जगह अब नियो मेट्रो चलाने की तैयारी है। डीएमआरसी ने 29 लाइट मेट्रो ट्रेन के लिए जारी निविदा रद्द कर दी है। इस कॉरीडोर पर नियो मेट्रो चलाने के लिए डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने जा रही है। सूत्रों की माने अगर इस कॉरीडोर पर यह सफल रहा तो मेट्रो फेज चार के बाकी बचे हुए बाकी तीन कॉरीडोर पर भी नियो मेट्रो चलाया जा सकता है। यह 19 किलोमीटर लंबा कॉरीडोर है। इसमें 25 से 30 फीसदी कम लागत आएगी। नियो मेट्रो का कोच 12 मीटर लंबा होता है और इसकी चौडाई 2.5 मीटर होती है।
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दिल्ली में लाइट मेट्रो की पूरी तैयारी होने के बाद भी नियो मेट्रो लाने के पीछे इसकी कम लागत को बताया जा रहा है। 19 किलोमीटर लंबे कीर्ति नगर से द्वारका (बमनौली गांव) के मेट्रो लाइट प्रोजेक्ट की कुल लागत 2673 करोड़ रुपये थी। अब अगर इस कॉरीडोर पर नियो मेट्रो का निर्माण होता है तो करीब 2000 करोड़ का ही खर्च आएगा। कोविड के चलते सरकारों की आर्थिक हालात ठीक नहीं है। इसके चलते अब केंद्र के निर्देश पर दिल्ली सरकार 40 फीसदी कम लागत वाली नियो मेट्रो चलाने की तैयारी है। डीएमआरसी बोर्ड से इसके डीपीआर तैयार करने की मंजूरी भी मिल चुकी है।